
पारस सकलेचा की विशेष अनुमति याचिका, हाईकोर्ट के आदेश को दी है चुनौती
जबलपुर। मंदसौर गोली कांड की जांच के लिए बने जैन आयोग की रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर रखे जाने की मांग को लेकर पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश संदीप दास व न्यायाधीश विक्रम मेहता की युगलपीठ ने इस सिलसिले में मध्य प्रदेश शासन को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब देने का आदेश दिया है।
दरअसल, छह जून 2017 को पिपलिया मंडी, मंदसौर में पाश्र्वनाथ चौपाटी पर आंदोलनरत किसानों पर पुलिस द्वारा गोली चलाने से पांच किसानों की मृत्यु हो गई थी। गोलीकांड की घटना की सीबीआई जांच तथा जिम्मेदार अधिकारियों पर प्रकरण दर्ज करने की मांग को लेकर पारस सकलेचा ने हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में याचिका दायर की थी। न्यायाधीश पीके जायसवाल तथा न्यायाधीश वीरेन्द्र सिंह की युगलपीठ ने शासन द्वारा जैन आयोग का गठन किए जाने के आधार पर याचिका को निरस्त कर दिया था। गोलीकांड की जांच के लिए 12 जून 2017 को शासन ने जैन आयोग का गठन किया। जैन आयोग ने अपनी रिपोर्ट 13 जून 2018 को राज्य शासन को सौंप दी थी। जैन आयोग की रिपोर्ट को चार वर्ष बाद भी विधानसभा के पटल पर न रखे जाने पर पारस सकलेचा ने हाई कोर्ट की इंदौर बेंच में याचिका दायर कर प्रार्थना की थी कि शासन को आदेश करें कि वह जैन आयोग की रिपोर्ट पर कार्यवाही कर उसे विधानसभा के पटल पर रखे। पारस सकलेचा ने न्यायालय से कहा था कि जांच आयोग अधिनियम 1952 की धारा 3 (4) के तहत जांच आयोग की रिपोर्ट प्राप्त होने के छह माह के अंदर उस पर कार्रवाई कर विधानसभा के पटल पर रखना शासन का दायित्व है। हाईकोर्ट के न्यायाधीश विवेक रूसिया की अध्यक्षता वाली युगलपीठ ने 14 अक्टूबर 2024 को पारस सकलेचा की याचिका को निरस्त करते हुए कहा था कि घटना को छह सात वर्ष हो जाने पर उसकी रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर रखने का कोई आधार नजर नहीं आ रहा है। हाईकोर्ट के आदेश के विरुद्ध पारस सकलेचा ने 8जनवरी 2025 को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तंखा व सर्वम रीतम खरे के तर्क सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
