जबलपुर: द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश शिव कुमार कौशल की अदालत ने न्याय व लोकहित से संतुष्ट हुए बिना मैकेनिकली पारित आदेश को अनुचित पाते हुए निरस्त कर दिया। इसी के साथ विचारण न्यायालय को नए सिरे से सुनवाई के निर्देश दिये गये है। आदेश में स्पष्ठ किया गया कि विचारण न्यायालय चाहे तो उभय पक्षों के तर्कों को पुन: विचार में ले। उभय पक्षों से अन्य जानकारी या संबंधित दस्तावेज विधि अनुसार प्राप्त किये जा सकते हैं। उभयपक्ष सेशन कोर्ट के आदेश के साथ 4 अप्रैल को विचारण न्यायालय के समक्ष कार्रवाई के लिए प्रस्तुत रहेंगे।
इस मामले की सुनवाई के दौरान पुनरीक्षण याचिकाकर्ता डिंडौरी निवासी सबीना बानो की ओर से अधिवक्ता गिरीश राव ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि मुरली मनोहर सहित 21 आरोपियों ने पांच मार्च 2024 को पुनरीक्षण याचिकाकर्ता के घर पर पहुंचकर उत्पात मचाया था। दरवाजा पीटते हुए जमकर गाली-गलौज की थी। दरवाजा टूटने पर सभी भीतर घुस गए थे। वहां खड़ी बाइक तोड़ दी थी। पुनरीक्षण याचिकाकर्ता चिल्लाने लगी तो उसके साथ मारपीट कर दी गई।
इसके बाद सभी उत्पाती वहां से चले गए। इस घटना की शिकायत डिंडौरी थाने में की गई। जिसके बाद प्रकरण दर्ज हुआ, मामला अधीनस्थ कोर्ट पहुंचा। जहां ट्रायल के बाद सभी आरोपी दोषमुक्त कर दिये गये। इसी दोषमुक्ति आदेश की वैधानिकता को पुनरीक्षण याचिकाकर्ता ने चुनौती दी है। उसका आरोप है कि एकपक्षीय तरीके से उसे सुनवाई का अवसर दिये बिना आदेश पारित किया गया था। उसका साक्ष्य लेने तक की जेहमत नहीं उठाई गई। इसके बिना ही उसके कथन समाप्त करने का कदम उठा लिया गया। इस तरह का आदेश किसी भी सूरत में स्थिर रखे जाने योग्य नहीं है। सुनवाई पश्चात् अदालत ने उक्त निर्देश दिये