नयी दिल्ली, 12 मार्च (वार्ता) विपक्ष ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार तेल उत्पादन को प्रोत्साहन नहीं दे रही है और तेल क्षेत्र के विकास के लिए कोई कदम नहीं उठाए गये हैं जिसके कारण देश में तेल क्षेत्र में आत्मनिर्भरता कम होने की बजाय लगातार बढ रही रही है।
कांग्रेस के मनीष तिवारी ने बुधवार को लोकसभा में “तेल क्षेत्र (विनिमय तथा विकास) संशोधन विधेयक 2024” पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि तेल का आयात आज बढ़ गया है। सरकार दावा करती है कि वह ऊर्जा क्षेत्र के विकास के लिए काम कर रही है लेकिन हालात यह है कि तेल का आयात आज 90 प्रतिशत बढ़ गया है और देश की तेल क्षेत्र में आत्मनिर्भरता कम होने की बजाय लगातार बढ़ रही है और यह ठीक नहीं है।
उन्होंने कहा,“ हमारी अर्थव्यवस्था हाइड्रो कार्बन आधारित है और इसमें कोयला से ऊर्जा उत्पादन 55 प्रतिशत से अधिक है। सरकार को सभी ऊर्जा स्रोतों में बदलाव कर उन्हें एक कर देना चाहिए और बिखरी ऊर्जा व्यवस्था का एकीकरण तेल क्षेत्र में आयात निर्भरता कम करनी चाहिए।” उनका कहना था कि मोदी सरकार के पिछले 10 साल के कार्यकाल में कोई काम ऊर्जा विकास के लिए नहीं हुआ है और इसी का परिणाम है कि देश में तेल क्षेत्र में आयात निर्भरता लगातार घट रही है जबकि इसे बढ़ना चाहिए था।
भाजपा के दिलीप सैकिया ने कहा कि पिछले 10 वर्षाें के दौरान मोदी सरकार ने ऊर्जा क्षेत्र के विकास के लिए जो कदम उठाए हैं वे अभूतपूर्व हैं और उससे देश ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की तरफ तेजी से बढ़ रहा है। ऊर्जा क्षेत्र की देश की अर्थव्यवस्था अहम भूमिका है। भारत तेल क्षेत्र में एशिया में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण है और इस महाद्वीप में भारत दूसरा सबसे ज्यादा तेल रिफाइनरी वाला मुल्क है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ऊर्जा शक्ति को गति देने के लिए काम कर रही है और इसी का परिणाम है कि श्री मोदी की कल्पनाशीलता के परिणाम स्वरूप देश की पहली वायु रिफाइनरी असम वायु रिफाइनरी बन रही है। इस रिफाइनरी को स्वरूप देने के लिए सरकार ने 4200 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है और बिहू पर्व के बाद से यह रिफाइनरी का काम शुरु होगा।
श्री सैकिया ने कहा कि इस विधेयक के पारित होने से देश में तेल क्षेत्र में निवेश आएगा और इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि पहले 142 अरब डालर का तेल आयात किया जाता था लेकिन मोदी सरकार ने ऊर्जा क्षेत्र में जो काम किया है उसके कारण अब 62 अरब डालर का ही आयात किया जा रहा है।
सपा के रमाशंकर राजभर ने कहा कि जब सरकारी तेल कंपनियां मुनाफा कमा रहीं हैं तो तेल के दाम में कमी क्यों नहीं की जा रही है। तेल के दाम कम नहीं होने से किसानों और खेती पर दबाव ज्यादा है। उन्होंने कहा कि भारतीय तेल कंपनियों को विदेशी कंपनियों पर निर्भरता समाप्त होनी चाहिए और भारतीय तेल कंपनियों का सामाजिक सरोकारों के प्रति योगदान को भी सुनिश्चित करनी चाहिए।
द्रविड़ मुनेत्र कषगम के कथीर आनंद ने कहा कि विधेयक में केन्द्र सरकार को तेल उत्खनन प्रणाली के नियम तय करने के अधिकार मिलते हैं। लेकिन तेल एवं प्राकृतिक गैस के उत्खनन की परियोजनाओं के कारण पारिस्थकीय, पर्यावरण एवं समुद्री जीव जन्तुओं को होने वाले नुकसान का ध्यान रखना जरूरी है। उन्होंने ऐसी उत्खनन परियोजनाओं के लिए पहले राज्य सरकारों से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेने और स्थानीय समुदाय की सहमति भी हासिल करने और स्थानीय पर्यावरण एवं रोज़गार की रक्षा करने की प्रतिबद्धता हासिल करने की जरूरत है।
तेलुगु देशम पार्टी के टी कृष्णा प्रसाद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने खुद को पेट्रोलियम पदार्थों के निर्यातक के रूप में स्थापित करने में कामयाबी हासिल की है। उन्होंने आंध्र प्रदेश के विकास में पेट्रोलियम उद्योग के विकास का योगदान होगा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री नारा चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व में विकसित भारत एवं विकसित आंध्र प्रदेश को बल मिलेगा।
जनता दल यूनाइटेड के कौशलेंद्र कुमार ने कहा कि भारत तेल का सबसे आयातक देशों में से है। इस कानून के बनने से देश में तेल उत्खनन क्षेत्र में सुधार के साथ निवेश आएगा और तेल एवं गैस की उत्पादन बढ़ने से दामों में कमी आएगी। पांच साल में तेल एवं गैस की खपत कई गुना बढ़ने की संभावना है। अत: ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए यह सुधार अपरिहार्य है। सरकारी हस्तक्षेप कम होगा और पूरे क्षेत्र में स्थिरता आएगी। कीमतों में गिरावट एवं स्थिरता आएगी।
शिवसेना के रवीन्द्र वायकर ने कहा कि ओपेक देशों में मोदी सरकार ने ऊर्जा साझीदारी को पुनर्परिभाषित किया है और देश में ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत किया जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत बढ़ने के बावजूद देश में दाम स्थिर रहे हैं।
मिलावट करने वाले पेट्रोल पंपों के खिलाफ कार्रवाई हो। सिलेंडरों की गुणवत्ता की जांच के लिए उच्च मानक तय किये जाएंगे। सिलेंडर गोदामों के निरीक्षण हों। उन्होंने मुंबई में पाइपगैस नेटवर्क के विस्तार पर जोर दिया जाये।
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के ई टी मोहम्मद बशीर ने कहा कि देश में तेल एवं गैस का उत्पादन को बढ़ाने की जरूरत है और उसके लिए एक सशक्त कानून बनाने की भी जरूरत है। लेकिन यह केवल उत्खनन का मामला ही नहीं है। इसके लिए सभी पक्षकारों से बातचीत करना एवं उनकी चिंताओं का निराकरण करना जरूरी है। पर्यावरण एवं स्थानीय पारिस्थितिकी का ध्यान रखना अपरिहार्य है।
भाजपा के जगदंबिका पाल ने कहा कि यह संशोधन विधेयक नहीं है बल्कि भारत की ऊर्जा सुरक्षा को सशक्त करने के लिए क्रांतिकारी कदम है। स्पष्ट है कि 1948 के कानून में संशोधन की जरूरत इसलिए पड़ी है क्योंकि तब सिर्फ तेल के उत्खनन की बात करते थे। अब माइनिंग लीज़ को पेट्रोलियम लीज़ कर दिया गया है।अनिश्चिता के कारण लोग निवेश नहीं आ सका। उत्खनन के साथ भंडारण, शोधन भी जोड़ा जा रहा है।
वाईएसआर कांग्रेस की गुम्मा तनुजा रानी और तृणमूल कांग्रेस की प्रतिमा मंडल ने भी चर्चा में भाग लिया।