तमिलनाडु में नयी शिक्षा नीति लागू करने या न करने पर निर्णय नहीं, केन्द्रीय राशि रोका जाना अनुचित: द्रमुक

नयी दिल्ली 11 मार्च (वार्ता) नयी शिक्षा नीति को लेकर तमिलनाडु और केन्द्र सरकार में चल रही रस्साकशी के बीच राज्य में सत्तारूढ द्रविड़ मुनेत्र कषगम की नेता कनिमोझी एन वी एन सोमू ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा कि राज्य सरकार ने इस नीति पर एक समिति का गठन किया है और अभी इसे लागू करने या नहीं करने का सवाल ही नहीं उठता इसलिए केन्द्र द्वारा राज्य का पैसा रोका जाना अनुचित है।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन यह स्पष्ट कर चुके हैं कि राज्य में तीन भाषा की नीति लागू नहीं की जायेगी। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु वर्ष 1930 से राज्य में हिन्दी भाषा को थोपे जाने का विरोध कर रहा है और मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि केन्द्र सरकार को राज्य में हिन्दी और संस्कृत थोपने का प्रयास नहीं करना चाहिए।

श्रीमती सोमू ने शिक्षा मंत्रालय के कामकाज में चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि तमिलनाडु ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने या न करने के बारे में अभी कोई निर्णय नहीं लिया है। अभी इस बारे में एक समिति का गठन किया गया है इसलिए अभी इस नाम पर केन्द्र की राशि को रोका जाना अनुचित है।

उन्होंने केन्द्र सरकार पर राज्यों की स्वायत्ता कम करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने राज्यों पर नीट जैसी परीक्षाएं थोप दी हैं। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में वर्ष 1960 से दो भाषा की नीति लागू है जिसके अच्छे परिणाम मिले हैं और इसने देश में नये मानक स्थापित किये हैं। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु ने जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रमों को अच्छी तरह से लागू किया लेकिन अब परिसीमन प्रक्रिया में उसे दंडित किया जा रहा है। सदस्य ने कहा कि पी एम श्री योजना लागू करने के नाम पर केन्द्रीय धनराशि को जारी करने की नीति अनुचित है। उन्होंने कहा कि इस पैसे को रोका जाना तमिलनाडु के लोगों की संप्रभुता और अधिकारों पर कुठाराघात है तथा सहकारी संघवाद की भावना के अनुरूप नहीं है।

श्रीमती सोमू ने कहा कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने कहा है कि राज्य में तीन भाषा की नीति लागू नहीं की जायेगी और तमिलनाडु 1930 से राज्य में हिन्दी लागू किये जाने का विरोध कर रहा है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार नयी शिक्षा नीति के माध्यम से राज्य पर हिन्दी को थोपना चाहती है। केन्द्र सरकार को तमिलनाडु में हिन्दी और संस्कृत को थोपने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। उन्होंने आग्रह किया कि केन्द्र सरकार को तमिलनाडु के हिस्से की राशि तुरंत जारी करनी चाहिए।

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