पटना, 10 मार्च (वार्ता) बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने रंगभरी एकादशी के अवसर पर राज्य के लोगों को होली और वसंतोत्सव की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह पर्व हमारी सनातन की संस्कृति में समाहित राग और रंग का उत्सव है, इसीलिए इसमें परिवेश और अपने भीतर की अशुध्दियों का होलिका-दहन किया जाता है ।
श्री सिन्हा सोमवार को कहा कि यह बड़ी विडंबना है कि तुष्टिकरण की राजनीति के चलते कुछ लोग इस सात्विक परंपरा को कुंठित करने का प्रयास करते हैं। इसके बदले सनातन की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हुए मांसाहार और केक पर आधारित ‘क्षेपक संस्कृति’ को बढ़ावा देते हैं,लेकिन आज देश में अपनी संस्कृति और मूल्यों को लेकर आई जागरूकता के कारण ये ‘वोटबैंकवादी’ हाशिये पर चले जा रहे हैं।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि सनातन की परंपरा पूरी तरह से प्रकृति और संस्कृति पर आधारित है। इसीलिए हमारे यहां फसल-चक्र से लेकर जीवन-चक्र तक और तीज-त्यौहार से लेकर हर्ष-उल्लास के अवसर प्रकृति के आधार पर तय होते हैं। हमारे हर मंगल और उत्सव के मौके पर प्रकृति के प्रति आभार भी व्यक्त किया जाता है।
श्री सिन्हा ने कहा कि आज दुनियाभर की समस्याओं का समाधान तलाशने के लिए हमारी इसी परंपरा का रुख कर रहे हैं। चाहे पर्यावरण के क्षेत्र में ‘वन अर्थ’ का नारा हो या स्वास्थ्य के क्षेत्र में ‘वन हेल्थ’ की बात हो उसमें प्रकृति पर आधारित संस्कृति की ओर बढ़ता रुझान ही नजर आता है। कृषि के क्षेत्र में जिस सतत कृषि और परंपरागत कृषि की ओर आज दुनिया नए ढंग से देख रही है। उसे हमारे समाज में सदियों से आजमाया और अपनाया गया है। इसलिए सनातन पर सवाल खड़ाकर आक्रांताओं की संस्कृति को अपनाने वाले आज अप्रासंगिक हो गए हैं।