नयी दिल्ली, 10 मार्च (वार्ता) दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने सोमवार को कहा कि महिला सशक्तिकरण केवल नारा नहीं, बल्कि समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है, जिसे हमें मिलकर निभाना होगा।
श्री गुप्ता अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आज एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर बोल रहे थे। कार्यक्रम में उन्होंने महिलाओं की उपलब्धियों, उनके अधिकारों और समाज में उनकी भूमिका पर अपने विचार व्यक्त किए।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि किसी भी देश की प्रगति महिलाओं के बिना संभव नहीं है। महिलाएँ समाज की रीढ़ होती हैं और उनकी भागीदारी के बिना कोई भी राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक रूप से मजबूत नहीं हो सकता। उन्होंने इस वर्ष की थीम “ऐक्सेलरेट एक्शन” का जिक्र करते हुए कहा कि हमें लिंग समानता को तेजी से बढ़ावा लाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। यह दिवस हमें याद दिलाता है कि हमें महिलाओं की सुरक्षा, शिक्षा, रोजगार और नेतृत्व के अवसरों में वृद्धि के लिए लगातार प्रयास करने होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिससे स्पष्ट है कि भारत अब लिंग समानता की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
श्री गुप्ता ने आंकड़ों के माध्यम से यह दर्शाया कि 2014 में लिंगानुपात 918 था, जो 2022 में बढ़कर 933 हो गया है। श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी 2017-18 में 23 प्रतिशत थी, जो 2023-24 में बढ़कर 42 प्रतिशत हो गई है। भारतीय सशस्त्र बलों में महिला अधिकारियों की संख्या 2015 की तुलना में 3.5 गुना अधिक हो गई है। देश में 48 प्रतिशत स्टार्टअप्स में कम से कम एक महिला निदेशक के रूप में कार्यरत हैं और भारत में लगभग 50 प्रतिशत एसटीईएम स्नातक महिलाएँ हैं, जो विश्व में सबसे अधिक हैं। उन्होंने कहा कि इन आंकड़ों से साबित होता है कि महिलाएँ अब हर क्षेत्र में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रही हैं।
उन्होंने महिला सशक्तिकरण की दिशा में सरकार द्वारा उठाए गए ठोस कदमों पर भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ महिलाओं को सीधे मिल रहा है, जिससे उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति सुदृढ़ हो रही है। प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत खोले गए 56 प्रतिशत बैंक खाते महिलाओं के नाम पर हैं। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के अंतर्गत अब तक 70 प्रतिशत ऋण महिला उद्यमियों को दिए गए हैं। उज्ज्वला योजना के माध्यम से 10 करोड़ से अधिक महिलाओं को मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं, जिससे उनके रसोईघर धुएं से मुक्त हो सके। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 4 करोड़ से अधिक घर महिलाओं को एकल स्वामित्व या संयुक्त स्वामित्व में आवंटित किए गए हैं। महिला आरक्षण विधेयक के पारित होने से राजनीति में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा मिला है।
श्री गुप्ता ने अंत में सभी से आग्रह किया कि वे अपने परिवार, समाज और कार्यस्थलों में महिलाओं को वह सम्मान दें, जिसकी वे हकदार हैं। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण केवल एक दिन का विषय नहीं है, बल्कि यह निरंतर प्रयास की माँग करता है। उन्होंने कहा कि अगर हम सच में एक विकसित भारत का सपना देख रहे हैं, तो हमें अपनी सोच बदलनी होगी और यह स्वीकार करना होगा कि महिलाएँ किसी भी दृष्टिकोण से पुरुषों से कम नहीं हैं।