हाईकोर्ट का अहम फैसला
जबलपुर। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत तथा जस्टिस विवेक जैन ने अपने अहम आदेश में कहा है कि जांच अधिकारी केस डायरी व आरोप पत्र दाखिल करते समय दोषपूर्ण व दोषमुक्ति के सभी दस्तावेज पेश करें। केस डायरी और आरोप पत्र में केवल अभियुक्त के खिलाफ साक्ष्य ही नहीं, बल्कि वे सभी दस्तावेज और गवाहियां भी शामिल की जाएं, जो उसे निर्दोष साबित कर सकती हैं। प्रकरण का विचारण प्रारंभ होने के पूर्व अभियुक्त को जांच के दौरान एकत्र की गई सभी सामग्री की प्रतियां उपलब्ध कराई जाएं।
अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के अनुसरण में मध्य प्रदेश नियम और आदेश (आपराधिक) में निम्नलिखित संशोधन किए गये है। मध्यप्रदेश नियम और आदेश (आपराधिक) के तहत नियम 117-ए को पूरी तरह लागू करने के निर्देश दिए हैं। इस नियम के अनुसार अभियुक्त को मुकदमे की शुरुआत से पहले ही जांच अधिकारी द्वारा जब्त किए गए सभी दस्तावेज, भौतिक वस्तुओं, और गवाहों के बयान की सूची दी जानी चाहिए। इस सूची में यह स्पष्ट रूप से उल्लेख होना चाहिए कि कौन-कौन से दस्तावेज और बयान अभियोजन पक्ष के लिए उपयोगी हैं और किसे बचाव पक्ष लिया जा सकता है। कोई साक्ष्य अभियुक्त के बचाव में है, तो उसे भी केस डायरी और चार्जशीट में शामिल किया जाएगा और अभियुक्त को इसकी कॉपी दी जाएगी।
याचिका में कहा गया था कि केस डायरी और चार्जशीट में केवल अभियोजन पक्ष के साक्ष्य रखे जाते हैं। आरोपी को निर्दाेष साबित करने वाली सामग्री को नजरअंदाज कर दिया जाता है। जो न्यायिक प्रक्रिया के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।
याचिका का निराकरण करते हुए युगलपीठ ने मध्यप्रदेश सरकार और पुलिस प्रशासन को स्पष्ट निर्देश दिए कि बीएनएसएस की धारा 193 के तहत केस डायरी और आरोप पत्र को संतुलित रखें। जिससे अभियुक्त के खिलाफ और उसके पक्ष में मौजूद सभी साक्ष्य पारदर्शिता के साथ प्रस्तुत किए जा सकें। इस आदेश का पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित करें।
आरोपी को बचाव का पूरा अवसर मिलना चाहिए
न्यायिक प्रक्रिया का आधार निष्पक्षता और पारदर्शिता होती है। अगर किसी व्यक्ति पर कोई आरोप लगाया जाता है, तो उसे यह जानने का पूरा अधिकार है कि जांच के दौरान कौन-कौन से साक्ष्य एकत्र किए गए हैं,चाहे उसके खिलाफ या पक्ष में है। आरोपी को बचाव का पूरा अवसर मिलना चाहिए, और अभियोजन पक्ष द्वारा किसी भी तरह की जानकारी छिपाने की प्रवृत्ति पर रोक लगाई जानी चाहिए। युगलपीठ ने पुलिस महानिदेशक को निर्देशित किया है कि एक सप्ताह में सभी फील्ड अधिकारियों को आवश्यक आदेश जारी करें। याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अधिवक्ता ने अपना पक्ष स्वयं रखा।