उज्जैन। अपात्र अधिकारी कर्मचारी द्वारा लंबे समय से प्रशासनिक दफ्तर में जिस तरह नौकरी की जा रही है। उसमें खामियां पाए जाने के बाद शिकायत हुई है और डिमोशन के लिए अब तेजी से फाइल दौड़ पड़ी है। जिस पर जिला कलेक्टर नीरज कुमार सिंह को संज्ञान लेना है।
नवभारत को मिली जानकारी के अनुसार उज्जैन जिले में पदस्थ ऐसे दो दर्जन से ज्यादा अधिकारी कर्मचारी हैं जिनकी शिकायत हुई है। साथ ही उनकी कार्यप्रणाली से लेकर शिक्षा और सरकारी काम में सुप्तता पाई गई, जिसको लेकर ऐसे सभी कर्मियो की फाइल तलब की गई है । उज्जैन शहर से लेकर सभी 7 तहसीलों में पदस्थ अधिकारी, कर्मचारियों, पटवारी, बाबू से लेकर राजस्व निरीक्षक भी शामिल है। इन सब के कामकाज को लेकर असंतोष व्याप्त है। ऐसे सभी दो दर्जन अधिकारी कर्मचारियों पर डिमोशन की तलवार लटकी हुई है। जिस तरह शाजापुर जिले के कलेक्टर राघवेंद्र सिंह ने नायब तहसीलदार अरुण चंद्रवंशी का डिमोशन करके पटवारी बना दिया और उन्हें उज्जैन पदस्थ कर दिया। ऐसे में अब उज्जैन में भी दो दर्जन अधिकारी-कर्मचारियों की फाइलें चल पड़ी हंै। शिकायत के बाद जांच चल रही है और डिमोशन की तलवार लटकी है इन सब पर भी उज्जैन जिला कलेक्टर नीरज कुमार सिंह को ही निर्णय लेना है। नवभारत से चर्चा में जिला कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने बताया कि वह अवकाश से लौट आए हैं। इधर एसीएस राजेश राजौरा से लेकर प्रमुख सचिव संजय शुक्ल, पी नरहरि ,नीरज मंडलोई आदि बड़े अधिकारी सिंहस्थ को लेकर शिद्दत से जुटे हुए हैं। भोपाल से मॉनीटरिंग की जा रही है। कलेक्टर नीरज कुमार सिंह सुबह से लेकर देर शाम तक मीटिंग ले रहे है,लगातार दौरे कर रहे हैं ऐसे में निष्क्रिय कर्मचारियों, अपात्र कर्मियों को जो जिम्मेदारियां दी गई है उनमें वह फिसड्डी भी साबित हो रहे हैं। यही कारण है कि तेजी से शुरू हुई शहर विकास और सिंहस्थ की प्रक्रिया में ढिलाई बरतने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।