पणजी, (वार्ता) देश में आटा मिलों की मांग है कि गेहूं के घरेलू बाजार में इस समय चल रही अनिश्चितता को दूर करने के लिए सरकार को गेहूं के आयात की गुंजाइश पैदा करनी चाहिए ताकि 20-30 लाख टन गेहं बाहर से मंगाया जा सके और इसके लिए उन्होंने गेहूं पर आयात शुल्क में कमी कर इसे 10 प्रतिशत से नीचे लाने की सिफारिश की है।
गेहूं पर आयात शुल्क इस समय 40 प्रतिशत है। आटा मिलें चाहती हैं कि किसानों से गेहूं की नयी फसल की सरकारी खरीद का काम पूरा होने के बाद सरकार को बाजार में स्थिरता बहाल करने के लिये गेहूं पर आयात शुल्क नपे तुले ढंग से कम करने का निर्णय करना चाहिए।
आटा मिलों के शीर्ष संगठन रोलर्स फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (आरएफएमएफआई) के अध्यक्ष नवनीत चितलांगिया ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुये कहा कि नयी फसल आने से पहले सरकारी गोदामों में गेहूं का बफर स्टॉक सीजन के अंत की न्यूनतम जरूरत से केवल 20-30 लाख टन ही ऊपर रहने का अनुमान है, जो पहले 1.8 करोड़ टन से दो करोड़ टन तक ऊंचा रहा करता था।
उन्होंने कहा, “ स्टॉक की स्थिति को देख कर बाजार में उतार चढ़ाव और सट्टेबाजी बढ़ गयी है। हम चाहते हैं कि गेहूं की उपलब्धता बढे और अस्थिरता दूर हो। ”
श्री चितलांगिया ने कहा, “ सरकार को घरेलू उपलब्धता बढ़ाने और मूल्य अस्थिरता को रोकने के लिए गेहूं पर आयात शुल्क को 40 प्रतिशत से नपे-तुले अंदाज में कम करना चाहिए, ताकि 20-30 लाख टन गेहूं के आयात की गुंजाइश बन सके और बाजार में स्थिरता रहे।”
उल्लेखनीय है कि गेहूं के बाजार में उतार-चढ़ाव से आटा मिलों का कारोबार प्रभावित होता है।
आरएफएमएफआई अध्यक्ष ने कहा, “ नयी फसल की सरकारी खरीद पूरी हो जाए ताकि हमारे किसानों को उनकी फसल का अच्छा मूल्य मिल सके और वे खुश रहें, उसके बाद सरकार को स्टॉक का पुन: आकलन कर के तय करना चाहिए कि उसके स्टॉक में कितना गेहूं है और बाजार में कितना है। उसके बाद गेहूं पर आयात शुल्क में सधे तरीके से कमी करने का निर्णय करना चाहिए ताकि दो तीन मिलियन टन ( 20-30 लाख टन ) का आयात हो सके।”
उन्होंने कहा कि यह बात खत्म होनी चाहिए कि भारत में गेहूं का स्टाक कम है। उन्होंने कहा कि गहूं के बाजार में उतार चढ़ाव से हमें जानकारी आधारित कोई पैसला नहीं कर पा रहे हैं।
संगठन का कहना है कि गेहूं पर आयात शुल्क काम कर पांच से 10 प्रतिशत तक ला देना चाहिए। इससे दक्षिण की आटा मिलों के लिए गेहूं का आयात करना व्यावहारिक हो जाएगा।
श्री चितलांगिया ने यहां कहा कि इस बार देश में गेहूं की फसल की स्थिति अच्छी है और यदि ध्यान दिया जाये तो गेहूं का उत्पादन बहुत ज़्यादा होगा।
श्री चितलांगिया ने कहा, “ हमारे सर्वेक्षण के अनुसार इस वर्ष गेहूं की पैदावार 11 करोड़ टन होने की संभावना है। पिछले वर्ष गेहूं का उत्पादन 10.5-10.6 करोड़ टन हुआ था। श्री चितलांगिया ने कहा, “ मोदी जी के आत्मनिर्भर भारत के विज़न के तहत हमारी मांग है कि गेहूं का मुक्त निर्यात किया जाये। ”