नीमच: कहने को जिला अस्पताल है लेकिन सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं। सडक़ हादसों में आने वाले घायलों को मरहम पट्टी कर प्राथमिक उपचार कर अन्य शहरों में रेफर करने का काम किया जाता है। ट्रामा सेंटर का भवन तो बना लेकिन सुविधाएं नहीं। रेफर मरीजों के आंकड़े यहां की सुविधाओं के हाल बया कर रहे है। इसी कारण जिला अस्पताल से रेफर सेंटर का तमंगा हटने का नाम नहीं ले रहा है। इसे मिटाने के प्रयास और दावें सालों से से किए जा रहे है लेकिन ऐसा कुछ हो नहीं रहा है। अकेले वर्ष 2024 में जिला अस्पताल से 2 हजार 252 मरीजों को बड़े शहरों में रेफर किया। इसमें प्रसूताओं को भी रेफर किया जा रहा है। उपचार के लिए सुविधाएं व डॉक्टरों का अभाव ही सबसे बड़ी समस्या है।
जिला अस्पताल में जिलेभर से मरीज उपचार के लिए आते हैं। इनमें कई गंभीर भी शामिल होते। हैं। कोई मरीज या घायल की स्थिति ज्यादा गंभीर होती है तो उसे सीधे बड़े शहर रेफर कर दिया जाता है, जबकि यहां पर ट्रामा सेंटर का भवन बना था तो लगा था कि यहां बेहतर उपचार लोगों को मिलेगा। शहर के चारों तरफ से गुजर हाइवे पर हर दिन हादसें हो रहे है। ऐसे में ट्रामा सेंटर में सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सक उपलब्ध रहेंगे तो उपचार अच्छा मिलेगा लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं हो रहा है। आंकड़ों को देखे तो हर दिन औसतन 4 से 5 मरीजों को रेफर किया जाता है। ऐसे में बड़े अस्पताल तक पहुंचने के पहले रास्ते में कई मरीजों की सांसें थम जाती हैं। हालांकि अस्पताल के चिकित्सकों का तर्क है कि ऐसा बहुत कम होता है क्योंकि 108 एंबुलेंस से उसे उपचार के साथ बड़े अस्पताल पहुंचाया जाता है।
ऐसे मरीज किए जा रहे रेफर
जिला अस्पताल से गंभीर या घायल को प्राथमिक उपचार के बाद रेफर किया जाता है। 2024 में सालभर दर्जनों मरीजों को रेफर किया गया। साल भर में रेफर मरीजों को आंकड़ा 2 हजार 252 तक पहुंचा। रेफर मरीजों में अधिकांश वह शामिल है जिनके उपचार के लिए सुपर स्पेशलिस्ट या संसाधनों की जरुरत होती है। हेड इंजरी, कार्डियक इमरजेंसी, हाई रिस्क डिलेवरी सहित अन्य बीमारियां इसमें शामिल है। रेफर करने के पीछे बड़ा कारण यही है कि उपचार की बेहतर सुविधा यहां उपलब्ध नहीं है।
प्रसूताएं भी हो रहीं रेफर
जिला अस्पताल में प्रसूताओं को भी रेफर किया जा रहा है। इसमें हाई रिस्क वाले प्रसव के केस को यहां डॉक्टर लेना नहीं चाहते हैं, क्योंकि उनके उपचार व मॉनिटरिंग के लिए उतनी सुविधा नहीं है। जिला अस्पताल में लक्ष्य व एनक्यूएस जैसे मापदंड पर खरा उतरने वाला मेटरनिटी वार्ड तो है लेकिन पर्याप्त स्टाफ नहीं है। इस कारण रेफर के दौरान कई बार रास्ते में प्रसव हो जाता है या रेफर करना पड़ता है।
स्टाफ व संसाधन का अभाव
प्रदेश स्तर से जिला अस्पताल के लिए जो सुविधाएं तय की गई हैं लेकिन स्टाफ की कमी के कारण परेशानी होती है। 50 प्रतिशत से ज्यादा डॉक्टरों व अन्य स्टाफ के पद रिक्त हैं। इन्हें भरने और अन्य संसाधन उपलब्ध कराए जाने के लिए पत्राचार करते हैं। अस्पताल से ज्यादा गंभीर मरीज को ही रेफर करते हैं।
– डॉ. महेंद्र पाटिल, सिविल सर्जन, जिला
