देश में अगले तीन वर्षों में हर जिले में डे-केयर कैंसर केंद्र होंगे: नड्डा

पुरी, 28 फरवरी (वार्ता) केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने शुक्रवार को कहा कि अगले तीन वर्षों में देश के हर जिले में डे-केयर कैंसर केंद्र होंगे और इस वर्ष ही दो सौ जिलों को कवर करने का लक्ष्य है।

श्री नड्डा ने सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में अच्छे और अनुकरणीय अभ्यासों और नवाचार पर नौवें राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की गहन विशेष गैर-संचारी रोग (एनसीडी) स्क्रीनिंग ड्राइव के लिए प्रशंसा की, जो मधुमेह, उच्च रक्तचाप और तीन प्रकार के कैंसर- मौखिक, स्तन और गर्भाशय ग्रीवा के लिए मुफ्त स्क्रीनिंग प्रदान करता है। उन्होंने विज्ञान पत्रिका ‘लैंसेट’ के एक हालिया अध्ययन पर भी प्रकाश डाला, जिसमें पाया गया है कि आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी पीएम-जेएवाई) के तहत नामांकित रोगियों को 30 दिन के भीतर कैंसर का उपचार पाने में 90 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जिससे समय पर इलाज हो सका और कैंसर रोगियों पर वित्तीय बोझ कम हुआ।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 ने केवल उपचारात्मक स्वास्थ्य सेवा दृष्टिकोण से एक ऐसा बदलाव लाया है जो उपचारात्मक, निवारक, प्रोत्साहन और व्यापक पहलुओं को एकीकृत करता है।

दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान करने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा अपनायी गयी विभिन्न सर्वोत्तम प्रथाओं और नवाचारों को प्रदर्शित तथा प्रलेखित किया जाएगा। यह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच ज्ञान साझा करने और परस्पर सीखने का अवसर भी प्रदान करेगा।

उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत ने 2014 से स्वास्थ्य सेवा में महत्वपूर्ण प्रगति की है। सरकार ने प्राथमिक और माध्यमिक स्वास्थ्य सेवा में सुधार के अलावा तृतीयक स्वास्थ्य सेवा को भी काफी प्रोत्साहन दिया है।

श्री नड्डा ने सभी नागरिकों के लिए गुणवत्तापूर्ण और सस्ती स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने की केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत आयुष्मान आरोग्य मंदिर के तहत किये गये काम ने समग्र स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के भीतर प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा की नींव को मजबूत किया है। उन्होंने कहा, “भारत की मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) में गिरावट वैश्विक गिरावट से दोगुनी है, जो जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को मजबूत करने के लिए किए गए प्रयासों पर प्रकाश डालती है।”

उन्होंने कहा कि शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) और पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है। उन्होंने आईएमआर और एमएमआर को कम करने में उल्लेखनीय प्रगति के लिए ओडिशा की सराहना की।

स्वास्थ्य मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि डब्ल्यूएचओ की विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2024 में मलेरिया के मामलों में भारत की उल्लेखनीय कमी को स्वीकार किया गया है। डब्ल्यूएचओ ग्लोबल टीबी रिपोर्ट 2024 का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि भारत में 2015 से 2023 तक टीबी की घटनाओं में 17.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी है, जो वैश्विक औसत गिरावट 8.3 प्रतिशत से दोगुनी से भी अधिक है।

उन्होंने कहा कि कोविड-19 के झटके के बावजूद भारत अपने टीबी उन्मूलन लक्ष्य से विचलित नहीं हुआ है। देश के 33 राज्यों के 455 जिलों में चल रहे 100 दिवसीय टीबी उन्मूलन अभियान में अब तक पांच लाख टीबी रोगियों का पता लगाया जा चुका है। किसी भी स्वास्थ्य पहल की सफलता के लिए जन भागीदारी के महत्व को स्वीकार करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में योगदान के लिए आशा कार्यकर्ताओं, एसएचओ और अन्य जमीनी स्तर के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को श्रेय दिया। उन्होंने भारत के स्वास्थ्य सेवा ढांचे को और मजबूत करने के लिए पंचायती राज संस्थानों को सशक्त बनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

श्री नड्डा ने गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के बढ़ते खतरे को संबोधित करते हुए इन स्थितियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए जीवनशैली में बदलाव की आवश्यकता पर जोर दिया। इस अवसर पर नड्डा ने नौवें राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन पर कॉफी टेबल बुक, 16वीं कॉमन रिव्यू मिशन रिपोर्ट, एनएचएम के चार क्षेत्रीय सम्मेलनों (2024-25) की रिपोर्ट और गैर-संचारी रोग सम्मेलन रिपोर्ट (जनवरी 2025) का विमोचन भी किया।

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