सियासत
दो बार विधायक और दो बार सांसद चुने गए प्रवेश वर्मा को इस बार मुख्यमंत्री बनने की प्रबल आशा थी। इसका एक बड़ा कारण यह था कि उन्होंने नई दिल्ली सीट से अरविंद केजरीवाल को हराया था। दरअसल, प्रवेश वर्मा द्वारा अरविंद केजरीवाल को चुनौती देने के बाद से ही दिल्ली चुनाव का माहौल बदलने लगा था। इसलिए भी प्रवेश वर्मा को आशा थी, लेकिन महिला होने की वजह से रेखा गुप्ता ने बाजी मारी। सूत्रों के अनुसार ऐसे में अपने निराश दामाद को उनके ससुर पूर्व केंद्रीय मंत्री विक्रम वर्मा ने दिलासा दी। दरअसल, दिल्ली में मुख्यमंत्री रहे अरविंद केजरीवाल को हराकर चर्चा में आए प्रवेश वर्मा का मध्य प्रदेश के धार से भी कनेक्शन है। वे धार के पूर्व केंद्रीय मंत्री विक्रम वर्मा के दामाद है और अक्सर धार भी आते रहते है।
प्रवेश का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए भी चल रहा था, लेकिन संगठन ने रेखा गुप्ता को यह जिम्मेदारी सौंपी। प्रवेश मंत्रीमंडल में शामिल है। प्रवेश के ससुर विक्रम वर्मा ने कहा कि पिता साहिब सिंह की मृत्य के बाद परिवार को प्रवेश ने संभाला और राजनीतिक कैरियर बनाने के लिए युवा मोर्चा, भाजपा में भी अलग-अलग जिम्मेदारी भी ली।इसके बाद पार्टी ने वर्ष 2013 में विधानसभा चुनाव में मौका दिया। फिर लोकसभा चुनाव में मौका दिया। वे दो बार लोकसभा सांसद रहे। इस बार विधानसभा चुनाव में चुनौती बड़ी थी, लेकिन खुद की मेहनत और स्वच्छ छवि के दम पर उन्हें सफलता मिल गई।जब विक्रम वर्मा से पूछा गया कि प्रवेश किस कारण से मुख्यमंत्री नहीं बन पाए तो उन्होंने कहा कि बड़े पद के लिए नाम चलते है बनता कोई और है। राजनीति में यह कोई नई बात नहीं है। कई समीकरण पार्टी को बैठना पड़ते है।
अभी इतने राज्यों में भाजपा के मुख्यमंत्री बने, लेकिन महिला को मौका नहीं मिला। इससे एक दृष्टिकोण बनता है कि जब पचास प्रतिशत महिला वोटर भाजपा के साथ है और आरक्षण भी होने वाला है तो स्वाभाविक रुप से लीडरशीप तैयार करना होगी। इसे देखते हुए पार्टी ने निर्णय लिया है।उन्होंने कहा कि प्रवेश की उम्र अभी 48 वर्ष है। उनके पास राजनीति में और आगे बढ़ने के मौके और भी मिलते रहेंगे। उन्हें फिलहाल जो जिम्मेदारी मिली है, उससे वे खुश हैं। सूत्रों का कहना है कि विक्रम वर्मा ने एक पिता की तरह प्रवेश को दिलासा दी।
