नयी दिल्ली (वार्ता) भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था अगले कुछ वर्षों में 8 अरब डॉलर से बढ़कर 44 अरब डॉलर हो जाने की उम्मीद है, जिससे मूल्य संवर्धन होगा।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग तथा कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को यहां एक बिजनेस कॉन्क्लेव में यह बात कही। उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र द्वारा हासिल की गई उल्लेखनीय प्रगति पर प्रकाश डाला, तथा इस सफलता के पीछे अंतरिक्ष बजट में वृद्धि को एक प्रमुख कारक बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अंतरिक्ष बजट लगभग तीन गुना बढ़ गया है। वर्ष 2013-14 में 5,615 करोड़ रुपये से बढ़कर 2025-2026 में 13,416 करोड़ रुपये हो गया है, जो अंतरिक्ष क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
डॉ. सिंह ने 2014 को भारत की अंतरिक्ष यात्रा के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र को अनलॉक करने के लिए एक अनूठा निर्णय लिया, जो सरकारी नीतियों में एक सक्रिय बदलाव को दर्शाता है। उन्होंने मोदी सरकार द्वारा बनाए गए सक्षम वातावरण को श्रेय दिया, जिसने श्रीहरिकोटा के द्वार को निजी क्षेत्र के लिए और अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए खोल दिया, जिससे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आया।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के व्यक्तिगत हस्तक्षेप से शुरू किया गया यह रणनीतिक दृष्टिकोण न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड और इन-स्पेस जैसे ढाँचों के माध्यम से सरकारी और गैर-सरकारी क्षेत्रों के बीच तालमेल बना रहा है, जिससे अंतरिक्ष उद्योग में नवाचार और अवसरों को बढ़ावा मिल रहा है। उन्होंने कहा कि पहली पीढ़ी के अंतरिक्ष स्टार्टअप सफल उद्यम बन गए हैं।
डॉ. सिंह ने संचार और कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने, अंतरिक्ष और उपग्रह प्रौद्योगिकी में भारत की आत्मनिर्भरता को मजबूत करने में इसरो की भूमिका पर भी चर्चा की और इस बात पर प्रकाश डाला कि इसरो द्वारा 433 विदेशी उपग्रह लॉन्च किए गए थे, जिससे 29.2 करोड़ यूरो और 17.2 करोड़ डॉलर की कमाई हुई।