नवभारत
बागली।सीता अष्टमी के पावन पुनीत पर्व पर प्रसिद्ध तीर्थ स्थल वाल्मीकि आश्रम लवकुश की जन्मस्थली पौराणिक सीतामंदिर पीपरी पर भगवान श्रीराम ,माता सीता ,भगवान लक्ष्मण, भगवान भरत ,भगवान शत्रुघ्न, लव कुश,ऋषि वाल्मीकि बजरंगबली की पोशाक बदलकर कर साज सज्जा की गई , साथ विधिवत हवन पूजन पाठ कर दोपहर में आरती की गई, तत पश्चात क्षेत्र वासियों के सहयोग से भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें हजारों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। नगर की महिलाओं ने शिव मंदिर से लेकर सीता मंदिर तक 2 किमी की पैदल यात्रा कर माता सीता को 151 मीटर लंबी चुनरी अर्पित की, ज्ञात हो कि सीता मंदिर की अपने पास 100 बीघा के लगभग जमीन है, और यह प्रतिवर्ष नीलाम होती है, जिसका सारा पैसा शासन के खाते में जमा होता है । पूर्व में जब मेले की मीटिंग हुई थी तब नगर वासियों ने प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष मंदिर में पूजन पाठ एवं भंडारे संबंधित बात रखी थी तो रखे शब्दों में साफ मना कर दिया था कि शासन के पास इस तरह की कोई राशि नहीं होती है, जनप्रतिनिधि के समक्ष भी यह बात रखी गई तो उन्होंने भी बेरुखी जताई , और किसी भी प्रकार का कोई संज्ञान नहीं लिया, पिछले वर्ष भी यह बात रखी गई थी लेकिन सिर्फ सांत्वना के अलावा कुछ नहीं मिला । क्षेत्रवासी इस तरह से हुए भेदभाव के कारण बेहद हताश है , साथ ही क्षेत्रवासी चाहते हैं कि एक निजी समिति बनाकर जो पैसा जमीन की नीलामी से आता है, उससे पूरा संचालन समिति के माध्यम से हो ताकि व्यवस्था सुचारू हो सके ,वर्तमान में जो पुजारी वहां पर पूजन कर रहे हैं उनकी भी तनख्वाह लगभग 3वर्षों से नहीं दी गई है ,ना ही मंदिर पर कोई चौकीदार है ना कोई सफाई कर्मी है 22 जनवरी 2024 को जब समूचे भारत वर्ष में रामलाल मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन हुआ था तब भी शासन प्रशासन ने इस प्राचीन मंदिर पर किसी प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं कई थी, उस समय भी ग्रामीण जनों के द्वारा ही मंदिर पर कार्यक्रम किया गया। क्षेत्र में तरह-तरह की चर्चा चल रही है कि जनप्रतिनिधि घाट नीचे की नहीं है घांट ऊपर के हैं इसलिए जटाशंकर पर ज्यादा ध्यान देते हैं और हमारे इस सीता माता के मंदिर पर किसी प्रकार का ध्यान नहीं दे रहे हैं।