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उज्जैन। महाशिवरात्रि पर्व से पहले महाकाल मंदिर में शिव नवरात्रि का उत्सव सोमवार से शुरू हुआ। पहले दिन भगवान महाकाल को पंडे-पुजारियों ने हल्दी लगाई। भगवान महाकाल दूल्हा बने तो महिलाओं ने मंगल गान करते हुए नृत्य भी किया। इस बार शिव की नवरात्रि 10 दिन मनाई जाएगी।
मंदिर की परंपरा अनुसार शिव नवरात्रि का उत्सव सुबह कोटितीर्थ कुंड के किनारे स्थित श्री कोटितीर्थ महादेव के पूजन से प्रारंभ हुआ। इसके बाद गर्भगृह में मंदिर के पुजारी पंडित घनश्याम शर्मा के नेतृत्व में 11 ब्राह्मणों ने भगवान महाकाल का विधिवत पूजन-अभिषेक, पंचामृत पूजन के साथ एकादश-एकादशनी रुद्राभिषेक किया। पूजन के दौरान महाकाल भगवान को केसर मिश्रित चंदन का उबटन लगाया गया व जलाधारी पर हल्दी अर्पित की गई। प्रारंभ में मंदिर प्रबंध समिति की ओर से सभी ब्राह्मणों को सोला-दुपट्टा व वरुणी भेंट की गई। शिव नवरात्रि के पहले दिन मंदिर समिति में कार्य करने वाली महिलाएं ढोल के साथ मंगल गीत गाते हुए नृत्य करते हुए पहुंची व दूल्हे के स्वरूप भगवान महाकाल की पूजा-अर्चना की।
सुबह की जगह दिन में हुई भोग आरती व संध्या पूजन
सुबह पूजन अभिषेक के बाद भगवान महाकाल की दोपहर में भोग आरती की गई। प्रतिदिन मंदिर में भोग आरती सुबह के 10.30 बजे से की जाती है। शिव नवरात्रि में भगवान की दिनचर्या बदल जाती है। इसलिए यह आरती दोपहर में की जाती है। वहीं प्रतिदिन शाम को 5 बजे होने वाली संध्या पूजन भी दिन में 3 बजे की गई। शिव नवरात्रि के पहले दिन भगवान महाकाल का पहले दिन चंदन से विशेष श्रृंगार किया गया। जिसमें लाल, गुलाबी और पीले रंग के नए वस्त्र मेखला, दुप्पटा धारण कराकर चांदी का मुकुट, मुंड-माला, छत्र अर्पित अर्पित कर श्रृंगार किया गया।