समाज में मूल्य प्रणाली को स्थापित करने के लिये विमर्श गढ़ना जरूरी

नर्मदा साहित्य मंथन के चतुर्थ सोपान के उद्घाटन सत्र में बोले संघ के वरिष्ठ प्रचारक सुरेश सोनी
तीन दिनों तक चलेगा वैचारिक मंथन, देशभर से विचारक, चिंतक, साहित्यकार हो रहे है शामिल

इंदौर: विश्व संवाद केंद्र के प्रतिष्ठित साहित्योत्सव नर्मदा साहित्य मंथन ’अहिल्या पर्व’ का शुक्रवार को देवी अहिल्या विश्वविद्यालय सभागृह में शुभारंभ हुआ. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य सुरेश सोनी ने दीप प्रज्जवलन कर आयोजन का श्रीगणेश किया. देश के जाने-माने चिंतकों, विचारकों और साहित्यकारों ने पहले दिन विभिन्न समसामयिक विषयों पर गहराई से अपनी बात रखी.

श्री सोनी ने कहा, समाज में मूल्य प्रणाली को स्थापित करने के लिये विमर्श गढ़ने और उसे प्रसारित करने की आवश्यकता है. हमारी सनातनी संस्कृति वैसे भी मूल्य आधारित ही रही है, लेकिन समय-समय पर नए विमर्श गढ़ने की जरूरत है. इस अवसर पर पद्म पुरस्कार के लिये चयनित निमाड़ के साहित्यकार जगदीश जोशीला का सम्मान भी किया गया. तीन दिवसीय नर्मदा साहित्य मंथन के प्रथम दिवस का आरंभ मां नर्मदा के जलपूरित कलश की स्थापना एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुआ.

उद्घाटन सत्र में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य सुरेश सोनी के साथ ही देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के कुलगुरू राकेश सिंघई, वरिष्ठ साहित्यकार देवकृष्ण व्यास, आयोजन संयोजक श्रीरंगजी पेंढ़ारकर उपस्थित थे. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य सुरेश सोनी ने ’विचार खंडन-मंडन की भारतीय परंपरा’ विषय पर अपने विचार रखे. श्री सोनी ने कहा, राष्ट्र निर्माण में आचार, विचार और अनुभूति की आवश्यकता होती है. अनुभूति के माध्यम से विचार और विचार के माध्यम से आचार को पुष्ट करना होगा. श्

मां नर्मदा नदी नहीं पूरी सभ्यता
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के कुलगुरू राकेश सिंघई ने कहा, मां नर्मदा केवल एक नदी नहीं है बल्कि एक पूरी सभ्यता है. उसी तरह मां अहिल्या केवल एक नारी नहीं है बल्कि वह नारी शक्ति का प्रतीक है. मां नर्मदा जीवनदायिनी है तो मां अहिल्या संस्कृति और नारी शक्ति की प्रतीक है. दोनों हमारे लिये पूज्यनीय और प्रेरणादायी है. साहित्यकार जगदीश जोशीला ने मां अहिल्या को महान नारी बताते हुए कहा कि मां अहिल्या वास्तव में नारी शक्ति की मिसाल है. उनके जीवन का हर एक भाग आदर्श स्थापित करते हुए प्रेरित करता है.

साहित्यकार जगदीश जोशीला का सम्मान

प्रखर वक्ता, चिंतक और साहित्यकार श्याम मनावत ने विश्व कल्याण में रामराज्य की भूमिका विषय पर अपनी बात रखी. वरिष्ठ समाजिक कार्यकर्ता भारती ठाकुर ने कहा, मां अहिल्या का जीवन पूरी तरह से सामाजिक आदर्श स्थिति का रहा है. हिंदू विस्थापन की पीड़ा विषय पर अपने विचार रखते हुए लेखक, चिंतक श्रीमती क्षमा कौल ने कहा, कश्मीरी पंड़ितों ने ऐसा उत्पीड़न सहन किया है, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है. मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी के निदेशक विकास दवे ने मंचीय कविता का वर्तमान परिदृश्य- चिंताएं और समाधान विषय पर बात रखते हुए समूह परिचर्चा की. पद्म पुरस्कार के लिये चयनित साहित्यकार जगदीश जोशीला को शाल-श्रीफल के साथ ही मां अहिल्या की मूर्ति देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर मालवा प्रांत की प्रसिद्ध पत्रिका जागृत मालवा के विशेषांक का विमोचन भी किया गया

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