ग्वालियर। जिला अस्पताल मुरार में कार्यरत महिला नर्सिंग ऑफिसर का विगत सात माह से अस्पताल के ही दो वरिष्ठ डॉक्टरों द्वारा कथित तौर पर लगभग दो वर्षों से विभिन्न प्रकार के द्विअर्थी संवाद, अश्लील हरकतें, अश्लील मैसेज एवं अन्य रूपों में यौन उत्पीड़न किया जा रहा था जिससे मानसिक रूप से ग्रसित होकर जब उक्त महिला नर्सिंग ऑफिसर द्वारा अस्पताल के वरिष्ठ अधिकारियों को लिखित में शिकायत की गई तो अधिकारियों द्वारा कार्यवाही करना तो दूर उस शिकायत पर ध्यान तक नहीं दिया गया उल्टा महिला नर्सिंग ऑफिसर को ही शिकायत वापस लेने का दवाब बनाया जाने लगा।
जब महिला नर्सिंग ऑफिसर द्वारा उच्च स्तर पर शिकायत की गई तो वहां से जांच कराने हेतु निर्देश जारी हुए तब भी अस्पताल प्रबंधन द्वारा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी आदेश के तहत विशाखा समिति अथवा पोश एक्ट का पालन न करते हुए उक्त आरोपी डॉक्टरों को बचाने की मंशा से उन्हीं के अधीनस्थ कार्य करने वाले एक पुरुष डॉक्टर को जांच अधिकारी बनाकर जांच कराने की कोशिश की गई किन्तु जब नर्सिंग ऑफिसर द्वारा उक्त जांच समिति पर आपत्ति यह कहते हुए लगा दी कि जांच अधिकारी कोई वरिष्ठ महिला अधिकारी को बनाया जाए तो अस्पताल प्रबंधन चिढ़ गया और उल्टा महिला नर्सिंग ऑफिसर को ही उसके प्रभारी पद से हटा दिया गया एवं उसे उससे 10 वर्ष कनिष्ठ कर्मचारी के अधीन कार्य करने के लिए मजबूर किया जाने लगा।
नर्सिंग ऑफिसर को जब भोपाल महिला आयोग, जिला प्रशासन आदि कहीं से कोई न्याय नहीं मिला तब मजबूरन पुलिस विभाग में जाना पड़ा किंतु जब कहीं भी सुनवाई नहीं हुई तब जनवरी 2025 में उच्च न्यायालय ग्वालियर में याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगाई।
*अभी भी नहीं बनी जांच समिति*
न्यायालय द्वारा उक्त याचिका को संज्ञान में लेते हुए तत्काल प्रभारी पद से हटाए जाने के आदेश को निरस्त करने एवं पोश एक्ट के तहत जांच कराने के निर्देश जारी किए गए। किंतु अब तक अस्पताल प्रबंधन दोषी डॉक्टर्स को बचाने में लगा हुआ है और कोई जांच समिति नहीं बनाई गई।