नई कारें फायनेंस करवाकर बेच देने वाले गिरोह के सदस्य है फरार
जबलपुर: अपने आपकों टास्क कम्पनी का अभिकर्ता बताकर कम्पनी में कार लगवाने के नाम पर नई कार फायनेंस करवाकर अनुबंध करके बेच देने वाले गिरोह के सदस्यों की तलाश में ओमती पुलिस की टीम एक बार फिर सूरत, अहमदाबाद समेत अन्य स्थानों में छापेमारी करने की तैयारी में है। प्रकरण में तीन आरोपियों की पूर्व में गिरफ्तारी हो चुकी है साथ ही एक करोड़ की आठ कारें भी जप्त की जा चुकी है।विदित हो कि सतेन्द्र सिंह ठाकुर 36 वर्ष निवासी खाईपुरा हनुमानताल ने पुलिस अधीक्षक आदित्य प्रताप से शिकायत करते हुए बताया था कि पीयूष नायडू, अरुण मसीह, रेशु मसीह, पंकज खत्री, नवीन खत्री ने अपने आपको टास्क टास्क कंपनी का अभिकर्ता बताकर कंपनी में कार लगाने के नाम पर किरायेनामें का अनुबंध कर उसकी एवं कई अन्य लोगों की कार लेकर अमानत में ख्यानत करते हुये हड़प ली थी।
अरुण मसीह गाडी चोरी का कार्य करता था बाद में चोरी की गाडियो का चेचिस नंबर बदल कर फायनेंस की कार को हडपता था इस तरह अरुण मसीह कार चोरी एवं धोखाधडी का पुराना शातिर अपराधी है जो नये लडको को रोजगार एवं नये व्यक्तियों को लाभ का लालच देकर नई कार फायनेंस करवाकर कूटरचित दस्तावेज अपने लडके रेसू मसीह के नाम से पीयूष नायडू, नवीन खत्री ओर पंकज खत्री के माध्यम से तैयार करवाता था ओर नई कार लेकर दो तीन महिने का किराया देने और फिर नई कार गायब कर देता था पंकज खत्री यहॉ की कार को ले जाकर अन्य प्रदेश में विक्रय किया एवं कार मालिको के पूछने पर चोरी हो जाने का बहाना बता देता। था। ओमती पुलिस ने अमानत में ख्यानत कर प्रकरण दर्ज कर सूरत, अहमदाबाद में दबिश देकर आरोपी पंकज खत्री, पीयूष नायड़ू नवीन खत्री को गिरफ्तार कर 8 नई कारे कीमती एक करोड़ रूपये की जप्त की थी।
अरूण-रेशू समेत अन्य है फरार
अरुण मसीह, रेशू मसीह एवं अन्य अब भी फरार है। जिसकी तलाश जारी है जिनसे ओर भी कारे बरामद किया जाना बाकी है। जिनके पकड़े जाने के बाद प्रकरण में नए खुलासे हो सकते है। पुलिस जल्द ही फरार आरोपियों की तलाश में सूरत, अहमदाबाद समेत अन्य स्थानों मेें एक बार फिर छापेमारी करने की तैयारी में है।
ऐसे करते थे वारदातें
पीयूष नायडू, अरुण मसीह, रेशू मसीह, पंकजी खत्री, नवीन खत्री द्वारा अपने आपको टास्क टास्क कंपनी का अभिकर्ता बताकर कंपनी में कार लगवाने के नाम पर नई कारें फायनेंस करवाकर, अनुबंध करके कार प्राप्त कर दो तीन महिने तक कार का किराया देने के पश्चात कार चोरी हो जाने का बताते हुये उक्त कारें किसी अन्य व्यक्ति को विक्रय कर देते थे।