2024 का साल बीत गया. बुधवार से नया वर्ष प्रारंभ हो रहा है. 2024 में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनेक राजनीतिक और सामाजिक घटनाएं हुई. खास तौर पर पश्चिम और मध्य एशिया में अशांति का वातावरण रहा. इसके अलावा रूस और यूक्रेन का युद्ध दूसरे वर्ष भी जारी रहा. इन संघर्षों में रूस और यूक्रेन के अलावा इजरायल, ईरान और सीरिया सीधे सीधे चपेट में आए. जाहिर है इसका असर विश्व की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है. इस वर्ष इंग्लैंड और अमेरिका सहित अनेक देशों में सत्ता परिवर्तन हुए. ब्रिटेन के चुनाव में कंजरवेटिव पार्टी बुरी तरह हार गई. यही हश्र अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी का हुआ. भारत में भी लोकसभा के चुनाव हुए लेकिन जनता ने लगातार तीसरी बार एनडीए के पक्ष में मतदान किया. हालांकि भाजपा को भी बहुमत नहीं मिला लेकिन एनडीए 293 सीटों के साथ स्पष्ट बहुमत में आ गया. भारत में जनता ने सरकार को साधारण बहुमत देकर विपक्ष को शक्तिशाली बनाया है ताकि लोकतंत्र में सत्ता का संतुलन बना रहे. जहां तक भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रश्न है तो हमारी अर्थव्यवस्था कोरोना के संकट से उबर चुकी है. पिछले वर्ष जीडीपी लगातार 6 से 7 प्रतिशत के बीच बनी रही. यह दुनिया की सबसे तेज रफ्तार से हासिल की गई विकास दर है. इस वर्ष जीएसटी और आयकर के कलेक्शन ने भी पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़े. विदेशी मुद्रा भंडार भी लबालब रहा. शेयर बाजार में जरूर अंत के कुछ दिनों में गिरावट दर्ज की गई. इस वर्ष की सबसे बड़ी घटना चीन के साथ हमारा सीमा विवाद हल होने की संभावना रहा. भारत और चीन के बीच विदेश मंत्री स्तर की बातचीत में बर्फ पिघली है और पहली बार चीन की सेना थोड़ी सी पीछे हटने के लिए तैयार हुई है. पाकिस्तान के मोर्चे पर आमतौर पर शांति रही. पाकिस्तान के भाड़े के आतंकियों ने जरूर दक्षिण कश्मीर में बीच-बीच में हरकतें की अन्यथा पाकिस्तान अपनी ही समस्याओं में ही उलझा रहा.
श्रीलंका में भी सत्ता परिवर्तन के बाद वहां की आंतरिक स्थिति में सुधार हुआ है, जबकि बांग्लादेश और कनाडा ने भारत के लिए समस्याएं पैदा की, जो पिछले वर्ष के पहले तक हमारे मित्र माने जाते थे. कनाडा की जस्टिन ट्रूडो की सरकार ने खालिस्तानी आतंकवादियों को न केवल पनाह दी बल्कि भारत पर भी उटपटांग आरोप लगाए. इसी तरह बांग्लादेश के तख्तापलट का असर भी भारत में पड़ा. भारत में संभल और बहराइच की घटनाओं को छोड़ दिया जाए तो वर्ष भर सांप्रदायिक सौहार्द ठीक-ठाक रहा. खेल के मोर्चे पर ओलंपिक में हमने अच्छा प्रदर्शन किया. हमने एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप ऑस्ट्रेलिया के हाथों गंवाई तो टी-20 विश्व कप में हमें सफलता मिली. वर्ष के अंत में तमिलनाडु के गुकेश ने अंतरराष्ट्रीय शतरंज स्पर्धा जीतकर इस वर्ष की सबसे बड़ी खेल उपलब्धि हासिल की. यदि हमारी आर्थिक विकास दर संतोषजनक रही तो बेरोजगारी और महंगाई के मोर्चे पर एक बार फिर निराशा हाथ लगी. आम जनता महंगाई और बेरोजगारी से त्रस्त रही. जबकि विद्यार्थी परीक्षाओं के पेपर बार बार लीक होने से परेशान होते रहे. किसानों की मांगे भी पूरी नहीं हो सकी. इसलिए उनमें भी असंतोष देखा गया. कुल मिलाकर बीता वर्ष ठीक-ठाक रहा. उम्मीद की जानी चाहिए कि 2025 में केंद्र और राज्य की सरकारें सबसे अधिक फोकस महंगाई और बेरोजगारी को दूर करने पर देंगी. सर्विस सेक्टर में ग्रोथ औसत से थोड़ी ऊपर है लेकिन मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को मजबूत करना पड़ेगा. अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की सरकार बनने के बाद चीन और अमेरिका के संबंधों में और खराबी आने की आशंका है. ऐसे में भारत को मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाने की कोशिश करना चाहिए. सरकार 2025 में अनेक बड़े फैसले लेने वाली है. सरकार से आशा है कि बड़े फैसले लेने के पूर्व वो सभी विपक्षी दलों से व्यापक चर्चा कर सहमति बनाने की कोशिश करेगी. बहरहाल,2025 का साल हमारे सभी देशवासियों के लिए खुशहाली लेकर आए यही आशा और प्रार्थना है..!
