
० घडिय़ालों की वंश वृद्धि के लिये राष्ट्रीय चंबल अभ्यारण्य से लाया गया नर घडिय़ाल, पांच वर्षों से नर घडिय़ाल विहीन था सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य
नवभारत न्यूज
सीधी 15 जनवरी। घडिय़ालों की पांच वर्ष से रूकी वंश वृद्धि के लिये राष्ट्रीय चंबल अभ्यारण्य से लाये गये एक नर घडिय़ाल को सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य सीधी के जोगदहा में छोड़ा गया है। 14 जनवरी को छोड़े गये नर घडिय़ाल के बाद अब जोगदहा घाट सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य में घडिय़ालों की संख्या में इजाफा होगा।
दरअसल 5 वर्षों से नर घडिय़ाल से विहीन जोगदहा घाट सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य में इससे पूर्व वर्ष 2019 में नर घडिय़ाल लाया गया था। कई वर्षों से जोगदहा घाट सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य में नर घडिय़ाल न होने की वजह से घडिय़ालों की संख्या में वृद्धि नहीं हो पा रही थी। इसको लेकर मीडिया में भी लगातार चिंताएं जताई जा रही हैं। घडिय़ालों की वंश वृद्धि रुकने के बाद विभाग के वरिष्ट अधिकारियों द्वारा काफी अरसे से पहल की जा रही थी कि राष्ट्रीय चंबल अभ्यारण्य मुरैना से सीधी नर घडिय़ाल लाया जाए। इसके लिए स्वीकृति भी काफी समय पहले ही मिल गई थी। लेकिन नर घडिय़ाल को सीधी लाने के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं नहीं बन पा रही थी। 14 जनवरी 2025 को राष्ट्रीय चंबल अभ्यारण्य मुरैना अभ्यारण्य से एक नर घडिय़ाल सीधी के जोगदहा घाट सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य में लाया गया। सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य के अधीक्षक निकुंज पाण्डेय, सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य के क्षेत्राधिकारी योगेन्द्र तिवारी, परिक्षेत्र सहायक राजेश सरजन, वनपाल जोखीलाल प्रजापति एवं मुरैना से आई टीम के समक्ष सुरक्षा पूर्वक नर घडिय़ाल को सोन नदी के जोगदहा अभ्यारण्य में छोड़ा गया। अधिकारियों ने बताया कि मुरैना से लाए गए नर घडिय़ाल की लंबाई 13.5 मीटर एवं उसका वजन लगभग 3 से 4 क्विंटल तथा आयु लगभग 15 से 20 वर्ष होगी।
बताते चलें कि सोन नदी के घडिय़ाल अभ्यारण्य बनने के बाद इसे प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित किया गया है। प्रतिबंधित क्षेत्र की कुल लंबाई 209 किलोमीटर है। सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य जोगदहा में घडिय़ालों की संख्या 39 एवं मगरों की संख्या 48 है। सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य में तीन रेंज बनाए गए हैं। जिसमें रामपुर नैकिन, सीधी एवं चितरंगी रेंज शामिल हैं। घडिय़ालों की संख्या में लिए तीनों रेंजों में पर्याप्त कर्मचारियों की पदस्थापना है। साथ ही पदस्थ कर्मचारियों की टोलियां रात एवं दिन सोन नदी तट पर भ्रमण करती हैं। जिससे घडियालों एवं मगरों को किसी तरह का खतरा न रहे।
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अभ्यारण्य बीट कुकरांव में नर घडियाल छोड़ा गया: योगेन्द्र
परिक्षेत्राधिकारी सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य योगेन्द्र तिवारी ने जानकारी देकर बताया है कि राष्ट्रीय चंबल अभ्यारण्य मुरैना के बरौली घाट से एक नर घडिय़ाल का घडिय़ाल ईकोलॉजी प्रोजेक्ट की टीम द्वारा चंबल नदी से रेस्क्यू कर पकड़ा गया, जिसे सोन घडिय़ाल की टीम के साथ लाकर जनसंख्या वृद्धि करने के लिए परिक्षेत्र सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य सीधी बीट कुकरांव अंतर्गत जोगदहा घाट सोन नदी मे घडिय़ाल ईकोलॉजी प्रोजेक्ट की टीम द्वारा नर घडिय़ाल के पूंछ में रेडियो चिप लगाने का कार्य किया गया। नर घडिय़ाल की पूरी जांच पड़ताल उपरांत सुरक्षित ढंग से स्वस्थ अवस्था में सिहावल विधायक विश्वामित्र पाठक, अधीक्षक सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य सीधी, परिक्षेत्राधिकारी सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य सीधी, पशु चिकित्सा अधिकारी सेफाली गुप्ता, घडिय़ाल ईकोलॉजी प्रोजेक्ट के सदस्य एवं अन्य जोगदहा स्टाफ के समक्ष जोगदहा घाट सोननदी में छोड़ा गया। नर घडिय़ाल तेजी से पानी मे छलांग भरता हुआ पानी के अंदर चला गया। नर घडिय़ाल की लंबाई 4.10 मीटर, वजन लगभग 2 से 3 क्विंटल एवं औसतन आयु 15 से 20 वर्ष है।
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आकर्षण का केन्द्र बना सोन नदी का जोगदहा प्रक्षेत्र
सोन नदी के जोगदहा घाट में घडिय़ाल अभ्यारण्य बनाया गया है। वर्तमान में यहां घडिय़ालों की संख्या 39 एवं मगर की संख्या 48 है। सीधी जिले में आने वाले पर्यटकों द्वारा संजय टाईगर रिजर्व के साथ ही सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य का भी प्राथमिकता के साथ भ्रमण किया जाता है। जोगदहा अभ्यारण्य क्षेत्र में रेत के ऊपर विचरण करने वाले घडिय़ाल एवं मगरों को आसानी के साथ देखा जा सकता है। बहरी-अमिलिया पहुंच मार्ग से जोगदहा घाट दो किमी. दूरी पर स्थित है। पर्यटकों को यहां जाने के लिए कच्चे रास्ते से जाना पड़ता है। काफी अरसे से यह मांग की जा रही है कि बहरी-अमिलिया पहुंच मार्ग से जोगदहा अभ्यारण्य के लिए जाने वाले कच्चे मार्ग का पक्का निर्माण करा दिया जाए। जिससे पर्यटकों की आवाजाही में सामने आ रही दिक्कतें दूर हो सकें। क्षेत्रीय सिहावल विधायक विश्वामित्र पाठक द्वारा भी इस कच्चे मार्ग के पक्के निर्माण के लिए आवश्यक पहल करने का आश्वासन दिया गया है। सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य में रहने वाले घडिय़ालों एवं मगरों को रेत माफिया से भी काफी खतरा बना हुआ है। क्षेत्रीय रेत माफिया मौका देखकर सोन नदी तट से रेत का अवैध उत्खनन करने में पीछे नहीं हैं। ऐसे में सोन नदी तटों की सुरक्षा करना भी बड़ी चुनौती का कार्य है। सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य द्वारा सोन नदी की सुरक्षा के लिए इंतजाम तो किए गए हैं लेकिन कभी-कभी लापरवाही भी सामने आती रहती है।
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