फर्जी सिमों का बडा नेटवर्क : बैंक के अधिकारियों, कर्मचारियों की मिलीभगत से खुले सैकड़ों फर्जी खाते
अंतर्राज्यीय गिरोह से 15 लाख नगद, 27 पासबुक, 48 एटीएम कार्ड, चेकबुक, एटीएम स्वाइप मशीन, 8 लेपटाप, 20 मोबाइल , 19 सिम कार्ड जप्त
जबलपुर। फर्जी बैंक एकाउण्ट खोलने एवं फर्जी सिमें जारी करने वाले गिरोह पर राज्य सायबर सेल जोन जबलपुर द्वारा ताबडतोड कार्यवाही को अंजाम दिया हैं। फर्जी बैंक खाते खोलकर उन खातों को देश के विभिन्न राज्यों में बेचने एवं खातों का दुरूपयोग कर करोड़ों का
सायबर फ्रॉड किया गया हैं। इस मामले में विभिन्न बैंक के अधिकारियों, कर्मचारियों की मिलीभगत उजागर हुई है।आरोपित आमजन के पहचान पत्र, आधार कार्ड, पेन कार्ड एवं अन्य आवश्यक दस्तावेज धोखे से प्राप्त कर विभिन्न बैंको में खाते खुलवाकर अवैध लाभ प्राप्त किया गया हैं। फर्जीवाडे में फर्जी सिमों का बडा नेटवर्क होने की संभावना है। आरोपियों के कब्जे से लगभग 15 लाख रूपये नगद, विभिन्न बैंक खातों के 27 पासबुक, विभिन्न बैंक 48 एटीएम कार्ड, विभिन्न बैंक खातों के चेकबुक, एटीएम स्वाइप मशीन, 8 लेपटाप, 20 मोबाइल फोन, 19 सिम कार्ड जप्त किये गये। पूछताछ में यह बात सामने आई है कि कई आरोपियों के द्वारा यह भी बताया गया कि बेटिंग एप के माध्यम से भी धोखाधडी करने का कार्य करते हैं जिसका प्रशिक्षण उन्हे दिल्ली व हरियाणा में दिया गया था।
जानकारी के अनुसार सतना निवासी एक सीमेंट कम्पनी में कार्यरत सुरक्षाकर्मी के फर्जी बैंक खाता खोलकर उसमें फर्जी मोबाइल नंबर दर्ज कर अज्ञात द्वारा करोडों के रूपये के अवैध ऑनलाइन लेनदेन करने संबंधी एक शिकायत राज्य सायबर पुलिस जोनल कार्यालय जबलपुर में प्राप्त हुई थी। जिस पर पुलिस अधीक्षक जबलपुर डॉ. रश्मि खरया एवं उप पुलिस अधीक्षक वीरेन्द्र सिंह चौहान के मार्गदर्शन में त्वरित कार्यवाही करते हुये अपराध पंजीबद्ध कर आरोपी अंजर हुसैन, शशांक अग्रवाल, अमित कुमार निगम, अनुराग कुशवाहा, स्नेहि गर्ग, शागिल अख्तर, सुमित शिवानी, अमित कुशवाहा, संदीप चतुर्वेदी, मेदनीपाल, नितिन कुशवाहा सभी निवासी नजीराबाद सतना, रितिक श्रीवास निवासी मोहन नगर मांडवा जबलपुर की गिरफ़्तारी के लिए त्वरित कार्य निरी. निलेश अहिरवार के नेतृत्व में राज्य सायबर की 16 टीमें गठित कर आरोपियों के ठिकानो पर एक साथ दबिश देकर आरोपियों को गिरफ़्तार किया गया। आरोपी जिला सतना, जबलपुर में रहकर उक्त घटना को अंजाम दे रहे थे।
फर्जी गेमिंग लिंक बनाकर बेटिंग कराने के नाम पर धोखाधड़ी-
शासकीय योजनाओं का लाभ देने का प्रलोभन देकर आमजन के दस्तावेजों को कूटरचित कर विभिन्न बैंको में खाते खुलवाकर ऑनलाइन वित्तीय धोखाधडी करने वाले अंतर्राज्यीय गिरोह फर्जी गेमिंग लिंक बनाकर बेटिंग (सटटा) कराने के नाम पर धोखाधडी करता था।
फर्जी तरीके से खरीदी सिमें
आरोपियों द्वारा आमजन के दस्तावेजों का उपयोग कर फर्जी तरीके से अलग अलग कम्पनियों की सिमें खरीदकर धोखाधडी में उपयोग की गई ।
प्रलोभन देकर खुलवाए खाते-
आरोपीगण द्वारा प्रतिरूपण द्वारा छल करते हुये आमजनों को शासकीय योजनाओं ( किसान सम्मान निधि, बुजर्ग पेंशन योजना, संबल योजना, बेरोजगारी भत्ता योजना) के लाभ का प्रलोभन देकर विभिन्न बैकों मे खाते खुलवाए गये ।आरोपियों द्वारा बैक संबंधी दस्तावेजों की कूटरचना कर खाते खुलवाकर वित्तीय धोखाधडी की गई।
शासकीय एजेसियों को किया गुमराह-
आरोपियों द्वारा स्वयं को बैंक का कर्मचारी बताते हुये आमजन को भरोसे में लेकर उनके दस्तावेजों से कूटरचित तरीके से खाते खुलवाए गये। वित्तीय अनियमित्ताओं से बचने के लिये आपस में रूपयें का लेनदेन कर शासकीय एंजेसियों को गुमराह करने का प्रयास किया गया। स्वयं को बैंक अधिकारी बताया गया एवं खाता खुलवाने पर बैंक की टीआरपी बढाने से होने वाले फायदे का हिस्सा देने का प्रलोभन देकर फरियादियों से दस्तावेज प्राप्त किये गये।
यहाँ फैला है नेटवर्क
आरोपियों से पूछताछ में पाया गया कि उक्त गिरोह का संपर्क देश के विभिन्न राज्यों पश्चिम बंगाल, दिल्ली, हरियाणा, तमिलनाडू, छत्तीसगढ के अन्य आरोपियों के साथ पाया गया है जिनके साथ मिलकर यह फर्जी बैंक खातों एवं फर्जी सिमों का व्यापार एवं उनका उपयोग सायबर फ्रॉड करने में करते हैं। प्रकरण में निरी. सविता नीरज ठाकुर, निरी. संध्या चंदेल, निरी. आनंद वसुनिया, निरी. भावना तिवारी, उपनिरी हेमन्त पाठक, सउनि मनीष उपाध्याय अन्य की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।