
नवभारत न्यूज
रीवा, 7 जनवरी, सुपर स्पेशलिटी अस्पताल रीवा के कार्डियोलाजी विभाग ने अपने संचालन के समय से लेकर अब तक पांच वर्ष में कई कीर्तिमान स्थापित किये. इसी श्रृंखला में एक नये क्रिटिकल प्रोसिजर बायपास ग्राफ्ट् एंजियोप्लास्टी को सफलतापूर्वक कर 70 वर्षीय बुजुर्ग की जान बचायी गई.
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल रीवा का कार्डियोलाजी विभाग विंध्य प्रदेश, बुंदेलखण्ड व उसके निकटवर्ती राज्यो व उनके जिलो में हृदय रोग से पीडि़त मरीजो के सफल इलाज का केन्द्र बिन्दु बनकर उभरा है. हाल फिलहाल 70 वर्षीय मरीज ओपीडी में डा0 एस.के त्रिपाठी के पास बार-बार सीने में तेज दर्ज होने के लक्षणो के साथ आये थे. 10 वर्ष पूर्व ही उस मरीज ने बायपास सर्जरी कराई थी. डा0 एस.के त्रिपाठी द्वारा मरीज की एंजियोग्राफी किये जाने पर ज्ञात हुआ कि बायपास ग्राफट् 99 प्रतिशत ब्लाक हो चुका था, ऐसी स्थिति में मरीज की जीवनरक्षा के लिये आवश्यक था कि मरीज या तो पुन: बायपास सर्जरी कराये अथवा एंजियोप्लास्टी द्वारा बायसपास ग्राफट् के ब्लाक को हटाया जाय. इस तरह की एंजियोप्लास्टी काफी जटिल होती है एवं प्रोसिजर के दौरान अत्यधिक जटिलताओ की संभावना रहती है. यह एंजियोप्लास्टी दूसरी एंजियोप्लास्टी से अगल होने के कारण समुचित योजना व रणनीति के तहत 02 घंटे की प्रोसिजर अवधि के दौरान डा0 त्रिपाठी एवं उनकी सहायक टीम ने अथक परिश्रम कर प्रोसिजर को सफलतापूर्वक संपादित किया. यह कार्डियोलाजी में एक जटिल प्रोसिजर है जिसका उपचार सिर्फ बड़े शहरो में ही किया जाता रहा है. परन्तु डा0 त्रिपाठी, निश्चेतना विभाग और उनकी टीम के अथक प्रयासो के कारण यह प्रोसिजर सफलतापूर्वक संपादित किया गया व मरीज अब स्वस्थ्य है.
मरीज की बचाई गई जान: डा0 त्रिपाठी
डा0 एस.के त्रिपाठी ने बताया कि कार्डियोलाजी विभाग द्वारा महत्वांकाक्षी प्रोसिजर को सफलतापूर्वक क्रियान्वियत कर मरीज की जीवन रक्षा की गई है, यह हमारे चिकित्सालय की एक बड़ी गौरवान्वित उपलब्धि रही है. इस उपलब्धि को अर्जित करने के लिये डा0 त्रिपाठी द्वारा डा0 सुनील अग्रवाल अधिष्ठाता चिकित्सा महाविद्यालय व डा0 अक्षय श्रीवास्तव अधीक्षक सुपर स्पेशलिटी द्वारा दिये गये सहयोग व मार्गदर्शन के लिये आभार व्यक्त किया है.
