दिल्ली में नौवां मुख्यमंत्री चुनने के लिए बिछी बिसात

नयी दिल्ली 07 जनवरी (वार्ता) दिल्ली विधानसभा के चुनाव पांच फरवरी को कराने की घोषणा के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय पहचान रखने वाली ऐतिहासिक राष्ट्रीय राजधानी का नौवां मुख्यमंत्री चुनने के लिए मंगलवार को बिसात बिछ गयी।

निर्वाचन आयोग ने दिल्ली विधानसभा चुनाव -2025 कराने की सारी तैयारियां पूरी कर ली हैं। दिल्ली विधानसभा में कुल 70 सीटें है। पिछला विधानसभा चुनाव फरवरी 2020 को हुआ था जिसमें आम आदमी पार्टी (आप) को भारी सफलता मिली थी। दिल्ली में अभी तक किसी भी राजनीतिक दल ने मुख्यमंत्री पद के लिए अपने चेहरे की घोषणा नहीं की है। हालांकि आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। बहुजन समाज पार्टी ने भी सभी 70 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है। पांच फरवरी को दिल्ली के लगभग एक करोड़ 55 लाख मतदाता 13 हजार से अधिक मतदान केंद्रों पर उम्मीदवारों और नौवें मुख्यमंत्री के लिए मतदान करेंगे।

दिल्ली में अभी तक अलग-अलग राजनीतिक दलों के आठ नेता मुख्यमंत्री के पद पर आसीन रहे हैं। दिल्ली विधानसभा की नांगलोई सीट के विधायक चौधरी ब्रहमप्रकाश 17 मार्च 1952 से 12 फरवरी 1955 तक दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे। दरियागंज विधानसभा सीट के विधायक गुरूमुख निहाल सिंह 12 फरवरी 1955 से एक नवंबर 1956 तक मुख्यमंत्री बने। मोतीनगर सीट के विधायक मदन लाल खुराना दो दिसंबर 1993 से 26 जनवरी 1996 तक मुख्यमंत्री रहे। शालीमार विधानसभा के विधायक साहिब सिंह वर्मा 26 फरवरी 1996 से 12 अक्टूबर 1998 तक मुख्यमंत्री रहे। भाजपा की तेज तर्रार नेता श्रीमती सुषमा स्वराज 12 अक्टूबर 1998 से लेकर 03 दिसंबर 1998 तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रही। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता तथा दिल्ली विधानसभा की नई दिल्ली विधानसभा सीट से विधायक रहने वाली श्रीमती शीला दीक्षित लगातार 15 साल 25 दिन तक मुख्यमंत्री रही थीं। श्रीमती दीक्षित 03 दिसंबर 1998 से लेकर 28 दिसंबर 2013 तक मुख्यमंत्री रही थीं। नई दिल्ली विधानसभा सीट से विधायक बनने वाले अरविंद केजरीवाल 28 दिसंबर 2013 से 21 सितंबर 2024 तक दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे हैं। कालकाजी विधानसभा सीट से विधायक सुश्री आतिशी मार्लेना 21 सितंबर 2024 को दिल्ली की मुख्यमंत्री है।

वर्ष 1952 में पहली बार दिल्ली विधानसभा का गठन किया गया था। यह गठन राज्य सरकार अधिनियम 1951 के तहत किया गया था। बाद में एक अक्टूबर 1956 को दिल्ली विधानसभा को समाप्त कर दिया गया था। वर्ष 1966 में दिल्ली की शासन व्यवस्था चलाने के लिए महानगर परिषद का गठन किया गया था। दिल्ली महानगर परिषद में 56 निर्वाचित तथा पांच मनोनीत सदस्य थे। महानगर परिषद के पास कानून बनाने का कोई अधिकार नहीं था। उसकी भूमिका केवल सलाहकार की भूमिका थी।

इसी दौरान वर्ष 1991 में संसद में 69वां संविधान संशोधन अधिनियम लाकर दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र अधिनियम 1991 के तहत दिल्ली विधानसभा का गठन किया गया। इसी के साथ दिल्ली विधानसभा के गठन तथा दिल्ली की सरकार बनने का सिलसिला शुरू हुआ।

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