जिला पंचायत में बढ़ रहा अध्यक्ष के प्रति असन्तोष
सतना:जिला पंचायत के सदस्य चुनावों के बाद से लगातार इस प्रयास में लगे हुए कि उन्हे भी अन्य निर्वाचित जनप्रतिनिधि की तरह महत्व मिले,लेकिन पूरी तरह प्रशासनीक हाथों में आ चुकी कमानभारी मेहनत के बाद चुनाव जीतकर आए पंचायत प्रतिनिधियों के साथ जो भेदभाव किया जा रहा है.उसका फिलहाल अंत होते नहीं दिख रहा है.हद तो तब हो गई जब शुक्रवार को हुई बैठक के दौरान एजेण्डे से वो पहला बिन्दु ही गायब रहा जिसे सदस्य सबसे ज्यादा संवेदनशील और महत्वपूर्ण मान रहे थे.
जिला पंचायत के भरोसेमन्द सूत्रों ने बताया कि लोकसभा चुनावों के बाद सदस्यों के दबाव के बाद जिला पंचायत की व्यवस्था को सामान्य बनाने की दृष्टि से सामान्य प्रशासन समिति की बैठक का एजेण्डा पिछले साल नवम्बर में जारी किया गया था.इस बैठक के लिए 16 दिसम्बर की तिथि तय की गई थी.इस बैठक के लिए जारी एजेण्डा में पहला बिन्दु पिछले छह वर्षों से या ज्यादा समय से जनपद,जिला पंचायत,और न्यायलय में लबित वित्तीय अनियमितताओं की राशि से जमा करने आदेशित राशि की जानकारी और इस संदर्भ में अब तक की कार्यवाही की जानकारी चाही गई थी.बताया गया है कि दिसम्बर की बैठक अधिकारियों के उपेक्षा पूर्ण रवैए कारण बिना चर्चा जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी के इस आश्वासन के बाद स्थगित कर दी गई थी.
अगली बैठक पूरी गम्भीरता होगी.इसकी अगली तिथि नए साल के जनवरी माह की तीन तारीख तय की गई थी.तय तिथि पर बैठक तो हुई,लेकिन सदस्यों का असन्तोष घटने के वजाए बढ़ गया.
अगर बैठक में रखे गए एजेण्डे को सही माना जाए तो 16 दिसम्बर के एजेण्डे का पहला बिन्दु सुनियोजित ढग़ से गायब कर दिया गया था.बताया गया है कि जिला पंचायत के अधिकारियों के लिए कमाई का जरिया बन चुका इस बिन्दु की वजह से दुकानें चल रही है.अधिकारी न तो रिकवरी के प्रति गम्भीर है न ही सम्बन्धित पंचायत सचिव और सरपंच के खिलाफ कार्यवाही चाहते हैं.सदस्यों को वो यह भी बताना उचित नहीं मानते की कितने मामलों में पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराई गई.सूत्रों के मुताबिक पिछली बार एजेण्डा सी ई ओ के हस्ताक्षर से जारी किया गया था.इस बार का एजेण्ड परियोजना अधिकारी द्वारा जारी किया गया है.इस बात की स्पष्ट जानकारी नहीं हो पायी कि एजेण्डा परिवर्तन में अध्यक्ष की सहमति शामिल है या नहीं.हालांकि इस के बाद अध्यक्ष के प्रति असन्तोष स्पष्ट नजर आने लगा है
