सरसों फसल में रोग प्रबंधन के लिए कृषि विभाग ने जारी की एडवायजरी

सतना :उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास मनोज कश्यप ने सतना एवं मैहर जिले के समस्त किसानों से सिंचाई से संबंधित विशेष परामर्श साझा किए है। जिसमें उन्होंने समस्त किसान भाईयों को सलाह दी है कि वे सरसों में बिजाई के 35-40 दिन बाद पहली सिचाई करें तथा सिचाई के साथ बची हुई यूरिया की आधी मात्रा 35 किलोग्राम अवश्य डालें। सिंचाई करते समय ध्यान रखे की हल्की सिंचाई ही करे व खेत में पानी खड़ा न होने दें। ज्यादा पानी लगाने से तथा पानी का ठहराव ज्यादा समय तक होने से मिट्टी में पैदा होने वाली फफूंद रोगों के फैलने की समस्या को बढ़ावा देता है। रोग प्रबंधन के बारे में बताया है कि तना गलन रोग की रोकथाम के लिए बिजाई के 45-50 दिन बाद कार्बेन्डाजिम का 0.1 प्रतिशत की दर से पहला छिड़काव करे।

तना गलन की रोकथाम के लिए दो छिड़काव करना आवश्यक है। दूसरा छिड़काव 65-70 दिन के बाद कार्बेन्डाजिम का 0.1 प्रतिशत की दर से करें। साथ ही किसान भाई अपने खेतों में निरंतर निगरानी बनाये रखे। उन्होंने बताया है कि तापमान में लगाकार गिरावट होने से सरसों में सफेद रतुआ बीमारी के आने की संभावना बनी हुई है। इसके लक्षण खेत में दिखाई दे तो किसान 600-800 ग्राम मैंकोजेब (डाइथेन एम-45) को 250 से 300 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें व 15 दिन के अंतर पर 2-3 बार छिड़काव करें। साथ ही मौसम पूर्वानुमान को ध्यान में रखकर ही फफूंदीनाशक का प्रयोग करें।

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