चेतना का सफर:
24 अगस्त 2024 को पुर के निकट नहर किनारे लावारिस अवस्था में मिली बालिका को जिला प्रशासन और महिला बाल विकास विभाग ने संरक्षण में लिया। बालिका को शिशु गृह लहार में प्रवेश दिलाकर चेतना नाम दिया गया। जब बालिका के परिवार का पता नहीं चला, तो उसे केंद्रीय दत्तक ग्रहण प्राधिकरण के मार्गदर्शी सिद्धांतों के तहत दत्तक ग्रहण के लिए कानूनी रूप से स्वतंत्र घोषित किया गया।
संभावित माता-पिता का चयन:
प्री-एडॉप्शन प्रक्रिया के तहत बालिका को संभावित माता-पिता को दिया गया, जिनमें पिता कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में सार्क देशों के सलाहकार हैं और मां एक निजी फर्म में चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं। परिवार की उपयुक्तता का परीक्षण करते हुए दत्तक ग्रहण को अंतिम रूप दिया गया।
फॉलो-अप और अपील:
जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि अगले दो वर्षों तक बेंगलुरु की बाल संरक्षण इकाई द्वारा हर छह माह में फॉलो-अप किया जाएगा। एल.के. पांडेय ने जिलेवासियों से अपील की कि यदि कोई बालक या बालिका जिन्हें पालन-पोषण में कठिनाई हो, तो वे बाल कल्याण समिति के समक्ष गोपनीय रूप से सरेंडर कर सकते हैं। यह कदम बच्चों को सुरक्षित जीवन और निसंतान दंपत्तियों को परिवार की खुशी प्रदान कर सकता है।