नयी दिल्ली 14 दिसंबर (वार्ता) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संविधान को ‘भारत के लोगों’ की गरिमा एवं कल्याण को समर्पित दस्तावेज़ बताया और कहा कि कांग्रेस के ‘एक परिवार’ ने अपने सत्ता के सुख और सत्ता की भूख मिटाने के लिए संविधान को बार बार लहूलुहान किया है और इसमें स्वार्थ के लिए चोट पर चोट पहुंचायी जाती रही।
श्री मोदी ने लोकसभा में ‘संविधान अंगीकार करने के 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा’ पर दो दिन तक चली चर्चा का विस्तृत जवाब में कांंग्रेस को जमकर घेरा। करीब एक घंटे 48 मिनट के भाषण में श्री मोदी ने संविधान बनने के तुरंत बाद अभिव्यक्ति की आज़ादी पर अंकुश लगाने वाले पहले संविधान संशोधन, आपातकाल, शाहबानो मामले और मनमोहन सिंह मंत्रिमंडल के फैसले को फाड़े जाने और प्रधानमंत्री कार्यालय के ऊपर एक राष्ट्रीय सलाहकार परिषद बिठाने आदि तमाम उदाहरणों को गिनाये और कहा, “आजादी के बाद विकृत मानसिकता या स्वार्थ के कारण एकता के मूल पर प्रहार हुआ है। कांग्रेस ने निरंतर संविधान की अवमानना की। संविधान के महत्व को कम किया। कांग्रेस का इतिहास इसके अनेक उदाहरणों से भरा पड़ा है। कांग्रेस के एक परिवार ने 55 साल के अपने शासन में संविधान को चोट पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। परिवार के कुविचार, कुनीति और कुरीति आज भी चल रही है।”
उन्होंने कहा कि संविधान की इस यात्रा के कई पड़ाव पहले भी आये हैं। जब संविधान के 25 वर्ष हुए तो संविधान को नोंचा गया। आपातकाल लगा कर संविधान का गला घोंट दिया गया था। उन्होंने कहा, “कांग्रेस के लिए सत्ता सुख और सत्ता भूख… यही एकमात्र इतिहास है, कांग्रेस का वर्तमान है।”
इसके बरक्स उन्होंने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार द्वारा अनुच्छेद 370, 35ए, नागरिकता संशोधन कानून, राष्ट्रीय अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा, सामान्य वर्ग के गरीबों को दस प्रतिशत आरक्षण, महिला आरक्षण के लिए नारीशक्ति वंदन कानून आदि का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, “हमारे लिए संविधान की शुचिता, पवित्रता सर्वाेपरि है। हमने भी संविधान संशोधन किए हैं लेकिन देश की एकता के लिए, देश की अखंडता के लिए, देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए और संविधान की भावना के प्रति पूर्ण समर्पण के साथ किए हैं।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “बाबा साहेब के संविधान के सामने जम्मू कश्मीर में 370 की दीवार थी। यही नहीं 35 ए बिना संसद की स्वीकृति लिये, केवल एक सरकारी आदेश से लागू कर दिया गया था।”
उन्होंने कहा कि हमारे लिये संविधान आस्था का प्रश्न है। हमारा संविधान सबसे संवेदनशील है जिसमें भारत के लोग और उनके कल्याण,गरिमा केन्द्र में हैं। संविधान हमें कल्याणकारी राज्य होने का निर्देश देता है। जबकि कांग्रेस पार्टी ने संविधान के नीतिनिर्देशक सिद्धांतों में कल्याणकारी राष्ट्र की भावना की अनदेखी की। जबकि हमने हमारा संविधान सबसे संवेदनशील है जिसमें भारत के लोग और उनके कल्याण,गरिमा केन्द्र में हैं। संविधान हमें कल्याणकारी राज्य होने का निर्देश देता है।
श्री मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने सत्ता सुख के लिए, सत्ता भूख के लिए, अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए, धर्म के आधार पर आरक्षण का नया खेल खेला है, जो संविधान की भावना के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब डाॅ अंबेडकर ने धार्मिक आधार पर बने पर्सनल लॉ को खत्म करने की सिफारिश की थी। इसीलिए हम संविधान की भावना के अनुसार ‘सेकुलर सिविल कोड’ लाने के लिए लगे हुए हैं।
श्री मोदी ने चुटकी लेते हुए कहा, “एक शब्द है- जुमला, जिसके बिना वो (कांग्रेस) जी नहीं सकते। लेकिन इस देश को पता है हिंदुस्तान में अगर सबसे बड़ा जुमला कोई था और वो 4-4 पीढ़ी ने चलाया। वह जुमला था – ‘गरीबी हटाओ’। यह ऐसा जुमला था जिससे उनकी राजनीति की रोटी तो सेकी जाती थी, लेकिन गरीब का हाल ठीक नहीं होता था।”
उन्होंने कहा, “2014 में जब राजग को सरकार बनाने का मौका मिला तो लोकतंत्र और संविधान को मजबूती मिली। गरीबों को मुश्किलों से मुक्ति मिले, यह हमारा बहुत बड़ा मिशन और संकल्प है। हमें गर्व है कि आज 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। गरीबी से निकले लोग फिर गरीबी में ना फंसे, इसीलिए मुफ्त राशन योजना चला रहे हैं।”
श्री मोदी ने इससे पहले अपने भाषण की शुरुआत करते हुए कहा कि भारत सिर्फ विशाल लोकतंत्र नहीं, बल्कि लोकतंत्र की जननी है। भारत की एकता हमारी सबसे बड़ी आवश्यकता है और हमारा संविधान एकता का एक आधार है। हमारे संविधान में विविधता है और हमारी प्राचीन संस्कृति एवं सभ्यता के चिह्न हैं जिसे संविधान निर्माताओं ने सम्मान दिया जबकि कुछ लोग विविधता में विरोधता ढूंढ़ते रहे हैं और विष के बीज बोते रहे हैं।
उन्होंने परिवारवाद को संविधान में वर्णित समानता के सिद्धांत के खिलाफ बताते हुए कहा कि इससे मुक्ति पा कर ही लाेकतंत्र को सशक्त किया जा सकता है। उन्होंने देश से राजनीति एवं लाेकतंत्र की दिशा क्या हो, इस पर मंथन करने, योग्य नेतृत्व को बढ़ावा देने और राजनीति में ऐसे युवाओं को अवसर देने का आह्वान किया जिनके परिवार में पहले से कोई राजनीति में नहीं हो।
उन्होंने कहा कि संविधान सभा में संविधान को सशक्त करने में महिलाओं ने सक्रिय भूमिका निभायी थी। उन्होंने कहा कि राजग की सरकार की हर बड़ी योजना के केन्द्र में महिलाएं हैं। हमने महिला नीत विकास का विचार विश्व के सामने रखा है। उन्हाेंने कहा कि भारत बहुत जल्द विश्व की तीसरी आर्थिक शक्ति बनने की दिशा में मजबूत कदम रख रहा है। हम 2047 तक भारत को विकसित देश बना कर रहेंगे।
श्री मोदी ने कहा कि संविधान में हमें अधिकार दिये हैं लेकिन हमारे कुछ मौलिक कर्तव्य भी हैं। इसी संदर्भ में सदन के समक्ष 11 संकल्प रखते हुए कहा, “आज मैं इस सदन के पवित्र मंच से 11 संकल्प सदन के सामने रखना चाहता हूं…
1. चाहे नागरिक हो या सरकार हो… सभी अपने कर्तव्यों का पालन करें।
2. हर क्षेत्र, हर समाज को विकास का लाभ मिले, सबका साथ-सबका विकास हो।
3. भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस हो, भ्रष्टाचारी की सामाजिक स्वीकार्यता न हो।
4. देश के कानून, देश के नियम… देश की परंपराओं के पालन में देश के नागरिकों को गर्व होना चाहिए, गर्व का भाव हो।
5. गुलामी की मानसिकता से मुक्ति हो, देश की विरासत पर गर्व हो।
6. देश की राजनीति को परिवारवाद से मुक्ति मिले।
7. संविधान का सम्मान हो, राजनीति स्वार्थ के लिए संविधान को हथियार न बनाया जाए।
8. संविधान की भावना के प्रति समर्पण रखते हुए जिनको आरक्षण मिल रहा है उसको न छीना जाए और धर्म के आधार पर आरक्षण की हर कोशिश पर रोक लगे।
9. महिला नीत विकास में भारत दुनिया के लिए मिसाल बने।
10. राज्य के विकास से राष्ट्र का विकास… ये हमारा विकास का मंत्र हो।
11. एक भारत, श्रेष्ठ भारत का ध्येय सर्वोपरि हो।