ठंड में गरीबों की शामत,सरकार के इंतजाम कागजों में

रात के समय पारा 7 डिग्री सेंटीग्रेड दर्ज हुआ, अधिकतम तापमान 25.1 रहा

 

नवभारत न्यूज

खंडवा। शीतलहर शबाब पर है। तीन दिन से खून जमा देने वाली ठंड पड़ रही है। जिनके पास इंतजाम हैं वे तो ठीक,लेकिन बगैर इंतजाम वालों की रातें मुश्किल में कट रही है। रैन बसेरे और अलाव जैसे सरकारी इंतजाम केवल एनजीओ वालों को ही फायदा पहुंचा रहे हैं। यहां इंतजाम सूरज को दीया दिखाने जैसे हैं। अतिनिर्धनों के हक पर डाका इसी को कहते हैं। ठंड और मौसम की डिटेल से ज्यादा जरूरी यह सब प्रशासन और जिम्मेदारों को बताना ज्यादा जरूरी है।

चार दिन ठंड अपना असर और दिखाएगी। स्कूली बच्चों की सुबह वाली शिफ्ट नौ बजे से करने के स्कूल वालों को आदेश दिये जाने चाहिए। सब तो ठीक, लेकिन मिशनरी की स्कूल वाले अधिकतर कलेक्टरों के आदेश भी नहीं मानते। वे इंग्लैंड के कैलेंडर और टेम्प्रेचर पर चलते हैं। स्कूल भले निमाड़ में लगाते हों, जहां के बच्चों को ज्यादा ठंड की आदत नहीं रहती।

सप्ताहभर और

राहत नहीं

पश्चिमी विक्षोभ खत्म होने और बादलों का घटाटोप साफ होने के कारण यह स्थिति बनी है। ऊत्तरी हिस्से में बर्फबारी भी हुई है। लगभग एक सप्ताह का यह चक्रव्यूह बताया जा रहा है। इसके बाद कुछ दिनों के लिए ठंड कम होगी। फिर मौसम का मिजाज बिगड़ जाएगा। मावठा भी गिरेगा। इससे चने की फसल को फायदा होगा। गेहूं भी अच्छी हाइट पकड़ रहा है। बोवनी जमने लगी है।

तिब्बतियों की

चल निकली

खंडवा के बाजारों और फुटपाथ पर भी गर्म कपड़ों, कंबल और रजाई बनाने वालों के यहां भीड़ नजर आ रही है। दधीच पार्क पर तिब्बतियों की दुकानों पर भीड़ लगी है। पुराने कपड़े फुटपाथ पर अलग ही तरह के लोगों को आकर्षित कर रहे हंै। मतलब खंडवा समेत गांवों के हाट बाजारों में हर वर्ग के लोगों के लिए इंतजाम हैं।

खिड़कियाँ बंद

सडक़ें सूनीं

शाम होते ही घरों की खिड़कियां बंद हो रही हैं। रात दस बजे बाद सडक़ें सुनसान दिखने लगती हैं। लोग इससे पहले ही कामकाज निपटाने लग गए हैं। सुबह घूमने वाले भी अभी तक की गुलाबी ठंड का मजा ले रहे थे। अब इनमें चुनिंदा लोग ही नजर आ रहे हैं। सुबह देर हो रही है। ठंड ने जायका भी बदल दिया है। पंजाबी स्टाइल का भोजन निमाड़ के लोगों की शोबत बन गया है। कुछ बड़े किसानों का मानना है कि इस बार बरसात भी अच्छी व देर तक हुई है। इसलिए ठंड भी अच्छी पड़ेगी। फसलें भी कम पानी में भरपूर उपज ला सकती हैं। चना कम पानी वाले भी ज्यादा रकबे में बोया गया है।

 

बेकवाटर भी नीम चढ़ा जैसा

 

निमाड़ एरिया में दो बड़े मीठे पानी के सागर हैं। खंडवा जिले में तो इसके अलावा भगवंतसागर व नागचून लबालब हैं। उत्तर पूर्व से हवाएं चुभन वाली ठंड लाई हैं। इन हवाओं से माहौल हिल स्टेशन जैसा बन गया है। कोहरा भी बादलों के छंटने के कारण पडऩे लगेगा। सूर्य सुबह 8 बजे भी नरमी लिए हुआ दिखा। दोपहर एक बजे से चंद्रमा और सूर्य एक साथ दिख रहे थे। मौसमविदों के मुताबिक दिल्ली व ग्वालियर के रास्ते उत्तरभारत से शीत हवाएं घुस रही हैं। जबलपुर, होशंगाबाद के रास्ते हरदा समेत खंडवा, खरगोन, बड़वानी जिलों में 17 दिसंबर तक काफी ठंड महसूस होगी।

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