मार्च में ही छाया जलसंकट, कैसे बीतेंगे चार माह

ग्रामीण क्षेत्रों में अभी तक पूरा नहीं हुआ काम, नौनिहाल भी कर रहे जलसंकट का सामना

 

शाजापुर, 10 मार्च. कलेक्टर ऋजु बाफना ने हाल ही में अधिकारियों को बैठक में निर्देशित किया था कि पेयजल संकट न होने दें और उसके लिए कार्य योजना बनाएं, लेकिन जिले के कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां जलसंकट ने मार्च माह में ही भीषण रूप धारण कर लिया है. जिससे बड़े ही नहीं बच्चे भी जूझ रहे हैं. ग्राम तिंगजपुर में पिछले एक साल से नलजल योजना का काम चल रहा है जो आज तक अधूरा है. नतीजतन ग्रामीणों को 300 से 400 रूपये खर्च कर निजी टैंकरों के सहारे अपनी जलापूर्ति करने पर मजबूर होना पड़ रहा है.

गर्मी के दस्तक के साथ ही जनपद पंचायत मोहन बड़ोदिया के अंतर्गत ग्राम पंचायत तिंगजपुर में पेयजल की समस्या गहराती जा रही है. रोजमर्रा के कामों के लिए लोगों को दूर-दराज से पानी लाना पड़ रहा है. इससे ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. पानी की व्यवस्था के लिए लोगों को अपने काम छोडक़र सुबह से शाम तक परेशानी उठाना पड़ रही है. ऐसा नहीं कि गांव में पानी के स्त्रोत नहीं है. यहां पाईन डली हुई है जो काफी पुरानी हो चुकी है जिससे वर्तमान में ग्रामीणों की जलापूर्ति नहीं हो पा रही है. इसके अलावा एक कुआं और दो ट्यूबवेल भी है, लेकिन वे भी धीरे-धीरे दम तोड़ते नजर आ रहे हैं.

 

20 दिन में एक बार मिलता है पानी

 

गांव में 15 वार्ड हैं और एक वार्ड में 15 से 20 दिन में एक बार पानी आता है. शेष दिनों में लोगों को निजी टैंकरों के भरोसे रहना पड़ता है, एक बार में उन्हें 300 से 400 रूपये खर्च करना पड़ते हैं. तब कहीं जाकर एक परिवार के लिए जलापूर्ति हो पाती है. इसके अलावा ग्रामीणों को निजी ट्यूबवेलों के भरोसे रहना पड़ रहा है जहां से पानी लाने के लिए बडे ही नहीं बल्कि बच्चे भी सुबह से निकल पड़ते हैं. ऐसे में मध्यमवर्गीय परिवारों की आय का बड़ा हिस्सा पानी पर ही खर्च हो रहा है. ऐस में ग्रामीणों को जलसंकट के साथ ही आर्थिक संकट का भी सामना करना पड़ रहा है.

 

कलेक्टर के निर्देश का भी नहीं हो रहा पालन

 

2 मार्च को ही कलेक्टर ऋजु बाफना की अध्यक्षता में ग्रामीण यांत्रिकी, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी एवं जनपद पंचायत विभाग के सहायक यंत्रियों व उप यंत्रियों की बैठक आयोजित की गई थी. जिसमें उन्होंने सभी जनपद पंचायत के सीईओ से कहा कि ग्रीष्म ऋतु के दौरान होने वाले पेयजल संकटों के क्षेत्र एवं गांवो का निरीक्षण करें. साथ ही पेयजल संकट से निपटने की कार्य योजना भी बनाएं. इसके लिए समय-समय पर सरपंच, सचिवों एवं रोजगार सहायकों की कलस्टर बैठक ले. कलेक्टर ने पीएचई विभाग के कार्यपालन यंत्री व्हीएस चौहान को भी निर्देश दिए थे कि वह पेयजल संकट के निदान के लिए दलगठित करें और पेयजल संबंधी कोई भी शिकायत, जानकारी या आवेदन आता है तो उसका निराकरण तत्काल करवाएं. इसके अलावा कलेक्टर ने कहा था कि ऐसे गांवों का चिन्हांकन करें जहां पर पेयजल संकट उत्पन्न होता है, उन ग्रामों के लिए नवीन नलकूप, सिंगल फेस मोटर एवं अन्य पेयजल स्रोतों के माध्यम से पेयजल की उपलब्धता कराए. लेकिन ग्राम तिंगजपुर में अभी से जलसंकट के बादल छा रहे हैं जिसके निराकरण के लिए अभी तक कोई कदम अधिकारियों ने नहीं उठाए हैं.

 

इनका कहना है

ग्राम तिंगजपुर में सरपंच साहब से चर्चा हुई थी उन्होंने हमें इस बारे में कुछ नहीं बताया. यदि जलसंकट के हालात हैं और ग्रामीण परेशान हो रहे हैं तो मैं दिखवाता हूं. समस्या का जल्द ही समाधान किया जाएगा.

– वीएस चौहान, कार्यपालन यंत्री, पीएचई विभाग शाजापुर

गांव की कालीसिंध नदी में जल्दी ही एक कुआं खुदाई का कार्य किया जाएगा, जिसका ठहराव प्रस्ताव भी किया गया है. नदी से गांव तक पाइपलाइन बिछा दी गई है. नए कुआं के लिए भी स्वीकृति मिलते ही कार्य शुरू कर दिया जाएगा. जलसंकट से निपटने के लिए हमारे द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं.

– चतुर्भुज परमार, सचिव ग्राम पंचायत तिंगजपुर

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