बोरवेल में फसा मयंक आखिरकार जिंदगी की जंग हार गया

45 घंटे चले रेस्क्यू के बाद भी नही बची जान, रेडक्रास से चार लाख की आर्थिक सहायता

नवभारत न्यूज

रीवा, 14 अप्रैल, रीवा के त्योंथर क्षेत्र के जनेह थाना अन्तर्गत आने वाले मनिका गांव में शुक्रवार की दोपहर गेंहू की बाली बिनते हुए खुले बोरबेल में मासूम मयंक आदिवासी गिर गया था. 45 घंटे तक चले रेस्क्यू आपरेशन के बाद भी उसे नही बचाया जा सका. जिंदगी की लड़ाई आखिरकार मयंक हार गया. दोपहर लगभग 1 बजे शव को रेस्क्यू टीम ने बाहर निकाला और त्योंथर अस्पताल में पीएम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया. इस मामले में मुख्यमंत्री डा0 मोहन यादव ने जनपद सीईओ और पीएचई के एसडीओ को निलंबित करने के निर्देश दये है.

गौरतलब है कि मयंक आदिवासी पिता विजय आदिवासी 6 वर्ष शुक्रवार की दोपहर खुले बोर में गिर गया था. जिसे बचाने के लिये बनारस से एनडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची और लगातार 45 घंटे तक रेस्क्यू आपरेशन चला और इस दौरान कलेक्टर-एसपी सहित क्षेत्रीय विधायक मौजूद रहे. जिले में अब तक का यह सबसे बड़ा रेस्क्यू आपरेशन रहा. तमाम कोशिश के बाद भी मयंक को नही बचाया जा सका. सुबह लगभग 8 बजे मयंक तक एनडीआरएफ की टीम पहुंच गई थी. लेकिन वह अचेत अवस्था में मिला. लगभग दोपहर 1 बजे के आसपास शव को बाहर निकाला गया और सीधे एम्बुलेंस से त्योंथर अस्पताल भेजा गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया. पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया.

मासूम बेटे का शव देखकर परिजनो का हाल बेहाल

सुबह 8 बजे के आसपास जैसे ही यह पता चला कि एनडीआरएफ की टीम बच्चे तक पहुंच चुकी है लेकिन सुरंग के पास तेज बदबू आ रही थी. जिससे यह मालूम पड़ गया था कि वह जीवित नही है. यह खबर सुनते ही परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल हो गया. पिता विजय और माँ शीला को लोग सम्भाल रहे थे और जैसे ही एनडीआरएफ की टीम ने शव को बाहर निकाला तो माँ का कलेजा फट गया. मासूम के शव से लिपट कर माँ रोने लगी. लोग परिजनो को ढाढस बंधाते रहे, पूरे गांव में मातम छा गया.

मिट्टी और पत्थरो के बीच दबा था मयंक

बोरबेल कच्चा था और लगभग 70 फीट गहरा था, एनडीआरएफ की टीम सुरंग बनाकर नीचे तक पहुंची थी. शनिवार को एक सुरंग बनाई गई और उसके बाद दूसरी सुरंग बनाई गई. पत्थर-पानी एवं कीचड़ के कारण रेस्क्यू आपरेशन में लगातार दिक्कते आ रही थी. पत्थर होने के वजह से रेस्क्यू करने में ज्यादा कठिनाई आ रही थी. एनडीआरएफ टीम को अफसोस रहा कि वह मयंक को जीवित नही बचा सके. शव मिट्टी और पत्थर के बीच दबा हुआ था, लगभग 42 फिट की गहराई पर शव मिला.

जनपद सीईओ और एसडीओ निलंबित

मनिका गांव में मासूम मयंक के मौत पर प्रदेश के मुख्यमंत्री डा0 मोहन यादव ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि प्रशासन के लगातार अथक प्रयासो के बाद भी नही बचाया जा सका. मन दुख और पीड़ा से भरा है, दिवंगत आत्मा को शांति परिजनो को दुख सहन करने की शक्ति ईश्वर प्रदान करे. अपने ट्विटर हैंडल में मुख्यमंत्री ने इस मामले में जवाबदेही तय करते हुए जनपद सीईओ त्योंथर एवं एसडीओ पीएचई त्योंथर को निलंबित करने के निर्देश दिये है. साथ ही परिजनो को रेडक्रास की ओर से चार लाख की आर्थिक सहायता प्रदान की गई. मुख्यमंत्री ने खुले हुए बोरबेल को ढक़ने के लिये निर्देशित किया है.

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