नयी दिल्ली, 07 दिसंबर (वार्ता) पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पूर्वोत्तर को देश की प्रगति के प्रमुख चालक के रूप में स्थापित करने के लिये सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुये शनिवार को कहा कि अष्टलक्ष्मी महोत्सव पूर्वोत्तर की विशाल संभावनाओं को साकार करने के लिये हितधारकों के बीच तालमेल बनाने के लिये उत्प्रेरक का काम करता है।
श्री सिंधिया ने अष्टलक्ष्मी महोत्सव के दूसरे यहां पूर्वोत्तर भारत के मुख्यमंत्रियों के साथ हुई पैनल चर्चा में कहा कि प्रौद्योगिकी, व्यापार और पर्यटन हमारी प्रगति के लिये मार्गदर्शक स्तंभ बने रहेंगे। उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) के परिवर्तनकारी विकास का पता लगाने और सतत प्रगति के लिये एक दूरदर्शी एजेंडे की रूपरेखा तैयार करने के लिये आयोजित इस सत्र में क्षेत्र के विकास के लिये प्रौद्योगिकी, व्यापार और पर्यटन को प्रमुख क्षेत्र के रूप में उजागर किया गया।
उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर की प्राकृतिक खूबसूरती को विश्व पटल पर ले जाने की जरूरत है जिससे पर्यटन को लगातार बढ़ावा दिया जा सके। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर को निरंतर निखारने के प्रयास भी करते रहना है।
पैनल में श्री सिंधिया के अलावा त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा, सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग और मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा शामिल थे। नेताओं ने सर्वसम्मति से भारत के विकास के लिये पूर्वोत्तर के रणनीतिक महत्व को मान्यता दी, दक्षिण पूर्व एशिया के प्रवेश द्वार के रूप में इसकी अनूठी स्थिति और आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में इसकी विशाल अप्रयुक्त क्षमता पर जोर दिया।
वक्ताओं ने कनेक्टिविटी और शासन को बढ़ाने, बेहतर बुनियादी ढांचे और आर्थिक गलियारों के माध्यम से व्यापार को आगे बढ़ाने और क्षेत्र की प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देकर पर्यटन के अवसरों को भुनाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की आवश्यकता को रेखांकित किया। चर्चा में सहयोग को बढ़ावा देने के लिये अष्टलक्ष्मी महोत्सव को एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में भी स्वीकार किया गया और पूर्वोत्तर के विकास एजेंडे पर लगातार ध्यान केंद्रित करने के लिये नियमित रूप से इसी तरह के मंचों के आयोजन का आह्वान किया गया।
इन मुख्यमंत्रियों ने पूर्वोत्तर के विकास के लिये भारत सरकार की पहल की सामूहिक रूप की एक के बाद एक सराहना की और कहा कि इन पहलों के कारण पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में रेल, सड़क और हवाई संपर्क में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
उन्होंने खेल, संगीत और उद्यमिता को बढ़ावा देकर समुदायों, विशेष रूप से युवाओं को जोड़ने के महत्व पर भी प्रकाश डाला।
इसके अतिरिक्त, समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिये हथकरघा, कृषि और इको-पर्यटन की क्षमता चर्चा का मुख्य केंद्र रही।