अधिक स्क्रीन टाईम बन रहा कारण, आउटडोर गतिविधियों को दे बढावा
उज्जैन: मोबाइल के अत्यधिक उपयोग से बच्चों के जीवन पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ रहे हैं। इससे बच्चे और युवाओं में डिप्रेशन व चिड़चिड़ेपन की समस्या भी तेजी से बढ़ रही है। विशेषज्ञों के अनुसार मोबाइल और लैपटॉप पर अधिक स्क्रीन टाइम से बच्चों में सबसे कॉमन प्रॉब्लम नींद में कमी या नींद का ठीक से नहीं आना सामने आ रही है। जो आगे चलकर स्वभाव में चिड़चिड़ापन या डिप्रेशन जैसी बीमारी का कारण बन रहा है। अभी हाल ही में हुए एक शोध में भी सामने आया है कि किशोर अवस्था में सबसे अधिक तनाव की स्थिति रहती है। इसका एक कारण मोबाइल का अत्यधिक उपयोग भी है।
कोविड के बाद से बढ़ रहे मामले
रात को मोबाइल स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने से या देर रात तक मोबाइल के इस्तेमाल से मस्तिष्क एक केमिकल उत्पन्न करता है। जिससे हमारी नींद उड़ जाती है। जानकारी के अनुसार मोबाइल के अधिक उपयोग से उत्पन्न केमिकल में डोपामिन शामिल होता है। जो कि हमारी नींद उड़ाने में बड़ा रोल प्ले करता है। इसके कारण आगे चलकर मानसिक रोग होने का खतरा रहता है। जिला अस्पताल के मनोरोग विभाग में हर सप्ताह करीब 35 से 40 बच्चे इलाज के लिए आ रहे हैं। इसका एक कारण मोबाइल का अत्यधिक इस्तेमाल भी है।
युवाओं में बढ़ रहा स्मार्ट फोन का चलन
बच्चों और युवाओं में स्मार्टफोन का क्रेज तेजी से बढ़ा है। इससे बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर काफी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। इसके साथ ही सोशल कॉन्टेक्ट में भी कमी आ रही है। बच्चे ऑनलाइन दोस्तों में अधिक समय देने के कारण वास्तविक दुनिया के साथ कम समय व्यतीत कर रहे हैं। इससे आपसी संबंधों और लगाव में कमी के कारण वे अकेलापन महसूस करने से डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं। इसके अलावा आंखों पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
एक्सपर्ट का कहना है
बच्चों में डिप्रेशन के लक्षणों को पहचान कर समय पर उपचार करने की जरूरत है। नहीं तो परिणाम घातक होंगे। ऐसे में बच्चों को समझें, उनकी बात सुने और उन्हें यकीन दिलाएं कि वे किसी भी परिस्थिति में अकेले नहीं हैं। इसके साथ ही घर का माहौल भी ऐसा बनाएं जहां बच्चे बिना डर के अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकें। इसके अलावा बच्चों का स्क्रीन टाइम सीमित कर आउटडोर खेल के लिए बढ़ावा देना, सोशल मीडिया से अलग अपने आस-पास लोगों से बातचीत और संबंध ज्यादा फायदेमंद होगा।
-डॉ. सपन पलोड़, मनोरोग विशेषज्ञ