बेंगलुरु, (वार्ता) कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हालिया कार्रवाइयों पर कड़ी आपत्ति जताई और एजेंसी पर न्यायपालिका को प्रभावित करने तथा इसकी जांच की अखंडता को कमजोर करने का प्रयास करने का आरोप लगाया।
गौरतलब है कि मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) से संबंधित श्री सिद्दारमैया के मामले की गुरुवार को उच्च न्यायालय में सुनवाई होनी है। श्री सिद्दारमैया ने याचिका की सुनवाई से ठीक एक दिन पहले लोकायुक्त को पत्र लिखने के लिए ईडी की आलोचना की। उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स पर कहा, “हमारी याचिका पर उच्च न्यायालय में सुनवाई होने से ठीक एक दिन पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) लोकायुक्त को पत्र लिखता है – यह कदम स्पष्ट रूप से न्यायपालिका को प्रभावित करने के उद्देश्य से है।” उन्होंने ईडी की जांच की वैधता पर भी सवाल उठाया और तर्क दिया कि जांच पूरी होने के बाद ही निष्कर्ष लोकायुक्त को प्रस्तुत किए जाने चाहिए।
श्री सिद्दारमैया ने लिखा, “उचित तरीका यह होता कि जांच पूरी होने के बाद लोकायुक्त को रिपोर्ट सौंप दी जाती। इसके बजाय लोकायुक्त को पत्र लिखना और उसे मीडिया में लीक करना राजनीति से प्रेरित एजेंडा को उजागर करता है।” उन्होंने कहा, “सुनवाई से ठीक पहले इसे सार्वजनिक करना पूर्वाग्रह पैदा करने और न्यायपालिका के दृष्टिकोण को प्रभावित करने के जानबूझकर किए गए प्रयास को दर्शाता है।”
वहीं श्री शिवकुमार ने ईडी पर गोपनीय जांच विवरण मीडिया को लीक करने का आरोप लगाया और कहा इससे कानूनी प्रक्रिया की अखंडता को नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा कि जांच तब तक गोपनीय रहनी चाहिए, जब तक कि इसे अदालत में पेश न किया जाए। उन्होंने कहा कि लीक ईडी की हताशा और सबूतों की कमी का संकेत है। उन्होंने खुद की ओर इशारा करते हुए अदालत में लड़ाई जारी रखने की कसम खाई और इस तरह की कार्रवाइयों से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद कानूनी प्रणाली में विश्वास व्यक्त किया।