बढ़ती महंगाई के कारण गृहणी और आमजन परेशान
इंदौर: प्रदेश में महंगाई का स्तर बढ़ते ही जा रहा है. हर वर्ग महंगाई की मार झेल रहा है जिससे घरेलू बजट बिगड़ चुका है. रसोई की पूर्ति करने के लिए ग्रहणियों को हर जगह अपने बजट को संतुलन करने में परेशानियां आ रही है.पिछले कुछ वर्षो में देखा जा रहा है कि महंगाई के आंकड़े में लगातार बढोतरी हुई है जिसका असर सीधे इस बार निम्न व मध्यम पर पड़ रहा है. यंू तो रोजमर्रा की चीज़ों के दाम तो लगातार बढ़ ही रहे है वहीं अगर मंडी की बात की जाए तो यहां बिकने वाली प्याज, अदरक और लहसून मात्र इन तीन चीज़ों ने ही व्यंजनों को स्वाद बदल कर रख दिया है. एक ऐसा भी समय देखने को मिला था जब प्याज ने लोगों के आंसू निकाल दिए थे.
वही अब लस्सन ने बजट बिगाड़ दिया है. देखने में यह भी आया है कि पिछले कुछ महिनों से ब्याज़ 60 से 80 रूपए किलो, अदरक दो सौ रूपए किलो और सबसे तेज़ी वाले लस्सन का दाम तीन सौ रूपाए पार हो गए है. ख़राब या कह सकते है कि वेस्ट निकला लहसून भी डेढ़ सौ रूपए से कम नहीं बिक रहा. यह ख़बर भ्रमित कर फैलाई जा रही है कि इस बार फसल अच्छी नहीं हुई है या काला बाज़ारी हो रही है. साफ बात यह है कि देश प्रदेश की धरती पर उगने वाला लहसून प्याज़ विदेशो में उच्चे दामों में सप्लाई किया जा रहा है जिसके कारण देश वासियों को अपने ही देश में महंगाई की मार झेलना पड़ रही है.
इनका कहना है
किसान अपना पसीना बहाकर देशवासियों को अन्न देते है और उन्हें तो सही दाम भी नहीं मिल पाते. वहीं दूसरी ओर सरकार इसे देश के बाहर भेज कर किसानों के साथ जनता का भी नुकसान कर रही है.
– हिम्मत भाई
इतनी महंगाई तो कभी देखने को नहीं मिली. सरकार को देश की जनता के विकास और सुविधा को ख्याल रखना चाहिए. किसान के हाथ से निकला हुआ अन्न जनता तक आते-आते इतना महंगा हो जाता है कि हद नहीं.
– याकूब आली
प्रदेश में बढ़ती महंगाई में रसोई का बजट ग्रहणी कैसे समेटे यह चिंता का विषय है जिसे केंद्र और राज्य सरकार को गंभीरता से लेना चाहिए. बजट बढ़ने के बजाए घटना चाहिए. यह देश-प्रदेश हित में होना चाहिए.
– भारती सदानी