सिंचाई के बाद खाद के लिये भटक रहे किसान, करहिया मंडी में टोकन से बट रही खाद, एक रैक पहुंची रीवा
नवभारत न्यूज
रीवा, 28 नवम्बर, रीवा एवं मऊगंज जिले के किसान डीएपी खाद पाने के लिये भटक रहे है. बोनी के लिये खाद नही मिल रही है और जहा मिल भी रही है वहा लम्बी कतार लग रही है. इस कड़ाके की ठण्ड में किसान लाइन में लगने को विवश है. सहकारी समितियों में खाद नही है लेकिन निजी विक्रेताओं के यहा खाद मिल रही है.
गौरतलब है कि खाद को लेकर किसान इस समय बेहद परेशान है. करहिया मंडी में चार काउंटर बनाए गए है जहा खाद का वितरण हो रहा है. टोकन की व्यवस्था की गई है, बुधवार को एक रैक रीवा पहुंची और एक दो दिन के अंदर दूसरी रैक खाद की आने वाली है. जिसके बाद कुछ हद तक खाद की किल्लत से राहत मिल पायेगी. सहकारी समितियो में खाद न होने के कारण करहिया मंडी किसान खाद लेने पहुंच रहे है. जहा लम्बी लाइन लग रही है. हालत यह है कि महिलाएं भी खाद के लिये लाइन में लग रही है. आक्रोशित किसानो ने कई बार सडक़ में जाम लगाया है, पिछले एक माह से किसान खाद की मांग कर रहे है लेकिन खाद की पर्याप्त आपर्ति न होने से स्थित बिगड़ती चली गई. इस समय खेतो में पलेवा लग रहा है और खद की मांग लगातार बढ़ती जा रही है. अब तक किसानों को 10959.40 टन यूरिया तथा 5663.76 टन डीएपी का वितरण किया जा चुका है. इसी तरह किसानों को 5584.50 टन एनपीके, 29.60 टन पोटाश खाद तथा 1105.15 टन सिंगल सुपर फास्फेट खाद का वितरण किया जा चुका है. कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि किसान भाईयों के लिए डीएपी के स्थान पर यूरिया और एनपीके अथवा यूरिया और एसएसपी खाद का उपयोग अधिक लाभकारी है. सिंगल तथा डबल लाक से प्रतिदिन खाद वितरित की जा रही है. जिस केन्द्र में अधिक संख्या में किसान खाद लेने पहुंच रहे हैं वहां अधिकारियों की निगरानी में टोकन देकर खाद का वितरण किया जा रहा है. वर्तमान में मार्कफेड, सहकारी समिति तथा निजी विक्रेताओं के पास खाद उपलब्ध है. जहा किसानो से मनमानी रेट लेने के साथ ब्लैक में खाद परोसी जा रही है.
व्यापारियों के यहा मंहगे दाम पर खाद
सहकारी समितियो में भले ही खाद नही है लेकिन निजी विक्रेताओ के यहा खाद मिल रही है. मनमानी रेट पर और स्टाक से ज्यादा खाद का भंडारण किये जाने पर एसडीएम के नेतृत्व में कई जगह छापामार कार्यवाही हो चुकी है जहा दुकानो को सील किया गया है. किसान मजबूरी में मंहगे दाम पर खाद लेने को विवश है. बड़े पैमाने पर खाद की कालाबाजारी भी जिले भर में की जा रही है.
जिले में 10623 टन यूरिया तथा 929 टन डीएपी है उपलब्ध
जिले भर में डीएपी खाद की किल्लत से हाहाकार मचा हुआ है. यूरिया खाद पर्याप्त मात्रा में है लेकिन डीएपी नही है, जबकि इस समय सबसे ज्यादा जरूरत किसानो को डीएपी खाद की है. किसानों के लिए खाद की समुचित व्यवस्था की गयी है. रीवा जिले में सहकारी समिति विपणन संघ तथा निजी विक्रेताओं के पास 28 नवम्बर की स्थिति में 10623.29 टन यूरिया तथा 929.30 टन डीएपी खाद उपलब्ध है. इसके साथ-साथ जिले में 1973.73 टन एनपीके, 84.65 टन एमओपी तथा 3914.35 टन सिंगल सुपर फास्फेट भी उपलब्ध है.