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बागली। बागली जनपद सभागृह में देवी अहिल्या के त्रीशताब्दी वर्ष आरंभ होने पर व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में मातृशक्ति और समाज सेवी उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता बेहरी क्षेत्र के पटेल परिवार के सदस्य भागीरथ पटेल बागली प्रचारक रामनारायण यादव एवं देवास विभाग प्रचारक राम जी भाई उपस्थित रहे। कार्यक्रम के आरंभ में मां अहिल्या के चित्र पर दीप प्रज्वलित करते हुए पूजा की गई। व्याख्यान के दौरान मुख्य वक्ता के रूप में देवास विभाग प्रमुख राम जी भाई ने बताया कि 31 मई 1725 को साधारण परिवार में अहिल्याबाई का जन्म हुआ उनके पिता मा को जी शिंदे गांव के सम्मानित किसान थे । लोकमाता अहिल्याबाई को उनके साहस और दृढ़ता के लिए जाना जाता है। वह बचपन से ही शिव की परम भक्त रही थी । लोकमाता अहिल्याबाई ने अपने जीवन काल में कई संघर्ष का सामना कीया राज शासन सफलतापूर्वक संभालते हुए लोकमाता अहिल्याबाई ने कई मंदिरों का निर्माण करवाया जिसमें काशी विश्वनाथ मंदिर सोमनाथ मंदिर विष्णुपद मंदिर बैजनाथ मंदिर एलोरा के गणेश्वर मंदिर प्रमुख है। आखरी समय में उन्होंने अपनी राजधानी महेश्वर को बना लिया था । 13 अगस्त 1995 को शिव आराधना करते हुए उनका निधन हुआ लेकिन अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने मालवा को संपन्न क्षेत्र बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। महाराज नल और युधिष्ठिर के बाद पुण्य श्लोक की उपाधि लोकमाता देवी अहिल्या को ही मिली उन्हें न्याय की देवी भी कहा जाता है। कार्यक्रम का संचालन युवा संघ सेवक केशव उपाध्याय ने किया तथा आभार व्यक्त संघ के सदस्य सोमेश उपाध्याय ने करते हुए बताया कि स्वयंसेवक संघ भी अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है। और अपने पंचशील सिद्धांत जिसमें पर्यावरण समाज धर्म दैनिक दिनचर्या और शिक्षा शामिल है। कार्यक्रम उपरांत भारत माता की आरती की गई।