
चौक मेहता/सैन फ्रांसिस्को (अमेरिका) 24 नवंबर (वार्ता) दमदमी टकसाल के प्रमुख और संत समाज के अध्यक्ष संत ज्ञानी हरनाम सिंह खालसा ने शनिवार को अमेरिका की अपनी धर्मप्रचार यात्रा के दौरान एक वीडियो संदेश के माध्यम से सिखों से सतर्क रहने की अपील की और कहा कि पिछले दिनों कुछ शरारती तत्व दमदमी टकसाल के खिलाफ बेहद घटिया बयानबाजी कर भोले-भाले लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं।
खालसा ने कहा कि दमदमी टकसाल ने सिखों की प्राथमिकता और कौम के हितों के लिए बड़ी लड़ाई लड़ी है। कौम के लिए अपना बड़ा योगदान दिया। यह शहीदों का संगठन है और हम आने वाले समय में भी सिख पंथ के हितों में योगदान देने से पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा, मेरा अनुरोध है कि भ्रम का शिकार होने की बजाय कोई हमारे साथ बैठकर विचार कर सकता है। आइए हम सब एकजुट होकर देश की प्रगति के लिए काम करें।
दमदमी टकसाल के प्रमुख ने कहा कि देश-विदेश में जहां भी सिख बैठे हैं और पंथ के हितों के लिए काम कर रहे हैं, हम दिल से उनका सम्मान करते हैं।
खालसा ने कहा कि महाराष्ट्र में चुनाव प्रक्रिया के दौरान सिख समाज महाराष्ट्र और संत समाज द्वारा महायुति के लिए मतदान करने की अपील का उद्देश्य महाराष्ट्र के सिख समुदाय के मुद्दों को सरकार के सामने उठाना था। आज तक महाराष्ट्र के 36 जिलों में सिख समुदाय के मुद्दे उपेक्षित रहे। जिन पर कभी ध्यान केंद्रित नहीं किया जाता रहा। सिखों की बहुत बड़ी समस्याएँ हैं और पिछली सरकारों ने हमेशा सिखों की अनदेखी की है। इसलिए अब सरकार की ओर से सिखों के सभी मुद्दों के लिए 11 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया। दूसरा, पंजाबी साहित्य अकादमी का पुनर्गठन किया गया और तीसरा, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग में सिखों को प्रतिनिधित्व दिया गया। ये तीन प्रमुख मुद्दे थे जिन्हें सरकार ने चुनाव आचार संहिता से करीब 11 दिन पहले अध्यादेश जारी कर मान्यता दी। अब पूरे महाराष्ट्र में जहां भी सिखों की कोई समस्या होगी, सिखों की यह 11 सदस्यीय कमेटी सरकार के साथ बैठकर उनकी समस्याओं का समाधान करेगी। दूसरा है पंजाबी के प्रचार-प्रसार के लिए, क्योंकि वहां हमारे बच्चे पंजाबी से बहुत दूर हो गए हैं, इसीलिए उन्होंने पंजाबी साहित्य अकादमी का गठन किया ताकि वहां आने वाले बच्चे पंजाबी बोलकर, लिखकर और पढ़कर हमारी मातृभाषा से जुड़ सकें। जिससे पूरे महाराष्ट्र में पंजाबी मातृभाषा को बढ़ावा मिलेगा।
खालसा ने कहा कि हमारे बच्चों के लिए पंजाबी पढ़ने, लिखने और बोलने की उचित व्यवस्था की जाएगी और बच्चों को पंजाबी सिखाने के लिए शिक्षकों की व्यवस्था की जाएगी। राज्य अल्पसंख्यक आयोग में एक सिख प्रतिनिधि को शामिल किया गया ताकि हमारे बच्चों को उच्च शिक्षा मिल सके, हमारे शैक्षणिक संस्थान और अस्पताल राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के धन से बने । क्योंकि मुस्लिम समुदाय को लाभ हो रहा है। पूरे महाराष्ट्र में सिखों की एक भी संस्था नहीं है, इसलिए सिखों की शैक्षणिक और चिकित्सा संस्थाएं बनाई जानी चाहिए ताकि सिख बच्चे पढ़ सकें और छात्रवृत्ति की व्यवस्था की जाए।
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में सिखों के पांचवें तख्त, श्री हजूर साहिब में, अतीत में एक गैर-सिख को प्रशासक के रूप में नियुक्त किया गया था, लेकिन इस मुद्दे को उपमुख्यमंत्री के सामने उठाया, जिन्होंने इस पर विचार करते हुए, गैर-सिख डीसी को तुरंत हटाकर एक सिख को अध्यक्ष नियुक्त कर दिया। उन्होंने हमें विश्वास दिलाया कि आने वाले समय में हम तख्त सचखंड श्री हजूर साहिब के बोर्ड में केवल महाराष्ट्र के गुरसिखों का प्रतिनिधित्व होगा।