जलवायु अनुकूल के लिए विकासशील, गरीब देशों की वित्तीय मदद दोगुना करें विकसित देश: गुटेरेस

बाकू (अज़रबैजान), 13 नवंबर (वार्ता) संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने ने विकसित देशों से विकासशील और गरीब देशों को जलवायु परिवर्तन के अनुरूप अपनी अर्थव्यवस्थाओं को ढालने में मदद के लिए वित्तीय सहायता को दोगुना करने के अपने वादे को पूरा करें।

श्री गुटेरेस ने कहा कि यह सनुश्चित करने की जरूरत है कि जलवायु परिवर्तन कार्यवाही के लिए गठित “हानि और क्षतिपूर्ति कोष” के पास पर्याप्त धन संसाधन हाें और कॉप29 की अगली बैठक में वित्तीय सुविधा के बारे में एक ऐसा महत्वाकांक्षी नया लक्ष्य प्राप्त हो सके जिससे विकासशील देशों की ज़रूरत का ध्यान रखा जा सके जिसके लिए हजारों अरब डालर की जरूरत है।

संयक्त राष्ट्र महासचिव ने बुधवार को यहां संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन समझौते के तहत एक विशेष सत्र को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि कार्बन उत्सर्जन को घटा कर वायुमंडल को अधिक गरम होने से बचाने के लिए विश्व समुदाय से और अधिक एकता तथा ऊंचे संकल्प की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों का नेतृत्व जी20 को करना चाहिए। श्री गुटेरेस ने इस अवसर पर यह भी कहा कि पेरिस सम्मेलन के लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में पांच वर्ष महत्वपूर्ण हैं।

उन्होंने जलवायु वित्त के बारे में कहा कि इसकी शुरुआत रियायती कर्ज की सुविधा से होती है। इसके साथ-साथ अधिक से अधिक राशि जुटाने के तरीके भी निकाले जाने चाहिए। उन्होंने अतिरिक्त कोष के लक्ष्य को साधने के लिए जैसे कि विमानन, जहाजरानी और खनिज ईंधन निकासी जैसे क्षेत्रों पर “सहयोग शुल्क” लगाए जाने के प्रस्ताव का समर्थन किया। श्री गुटेरेस ने कहा कि वित्तीय प्रबंध और वितरण में पारदर्शिता और जवाबदेही की व्यवस्था शामिल होनी चाहिए ताकि यह विश्वास पैदा हो कि धन वितरित और सुलभ होगा।

उन्होंने कहा कि इस दिशा में बहुपक्षीय विकास बैंकों की ऋण देने की क्षमता में भारी वृद्धि करने के प्रयासों को भी आगे बढ़ाना चाहिए। इसके लिए बड़े पैमाने पर पुनर्पूंजीकरण और उनके व्यवसाय मॉडल में सुधार की आवश्यकता है ताकि वे अधिक निजी वित्त का लाभ उठा सकें।

श्री गुटेरेस ने संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन समझौते के तहत आयोजित कॉप29 के प्रमुख देशों प्रतिनिधियों की बैठक (कॉप29 एम्बिशन कोलिशन लीडर्स) को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘इस दशक के अंत तक हर साल नौ प्रतिशत उत्सर्जन कम करना ताकि 1.5 डिग्री (वायुमंडल के तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेंटीग्रेट तक सीमित रखने के लक्ष्य) का लक्ष्य जीवित रहें…।”

उन्होंने कहा, “नौ साल पहले, आपने पेरिस समझौते को अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आज, हमें आपकी एकता और संकल्प की पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरत है। यह साबित करने के लिए कि समझौता काम कर रहा है। अगले पाँच साल निर्णायक होंगे।”

श्री गुटेरेस ने कहा कि हर देश को वादे के अनुसार अगले साल कॉप30 तक अपनी अपनी महत्वाकांक्षी नई राष्ट्रीय जलवायु कार्रवाई योजनाएँ तैयार करके प्रस्तुत करनी चाहिए और इन्हें 1.5 डिग्री के लक्ष्य की दिशा के अनुरूप रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि सदस्य देशों को कॉप29 प्रतिबद्धताओं में योगदान देना चाहिए, और दुनिया को जीवाश्म ईंधन को तेजी से और निष्पक्ष रूप से समाप्त करने की दिशा में आगे बढ़ाना चाहिए।

उन्होंने जी20 देशों को सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक बताते हुए कहा कि इस समूह को कार्बन उत्सर्जन के कारण जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के प्रयासों का नेतृत्व करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह समूह विविधतापूर्ण और एक साझा महत्वाकांक्षा से एकजुट हैं।

संरा महासचिव ने कहा कि अगले बारह महीने हमें सही रास्ते पर ले जाने चाहिए और जीवाश्म ईंधन से स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में प्रगति को तेज़ करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि जलवायु संबंधी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए वित्त का प्रबंध करना, हानि और क्षति निधि के पास संसाधन होने चाहिए और जलवायु परिवर्तन की चुनैतियों से निपटने नुकूलन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

श्री गुटेरेस ने कहा कि पेरिस समझौते के बाद प्रगति की झलक देख रही हैं। उन्होंने कहा, “जब पेरिस समझौता अपनाया गया था, तब हम चार डिग्री तापमान वृद्धि की ओर बढ़ रहे थे। आज की नीतियाँ हमें तीन डिग्री के करीब ले जा रही हैं।”

उन्होंने कहा कि अर्थशास्त्र के नियम ही हमें स्वच्छ भविष्य की ओर ले जाएंगे और इसे कोई देश या कंपनी इसको रोक सकेंगे। उन्होंने कहा, “लेकिन हमें बहुत तेजी से आगे बढ़ना चाहिए। और हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हरित संक्रमण देशों के अंतर और देशों के बीच असमानताओं को कम करे। हमें आवश्यकता है कियह गठबंधन उच्च महत्वाकांक्षा के लिए कदम बढाए।”

 

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