पुलिस पकड़ रही है शराब, आबकारी विभाग ले रहा पैसा

अवैध शराब को पकडऩे का काम आबकारी विभाग का, लेकिन विभाग सो रहा है

 

शाजापुर, 29 अक्टूबर. जिले में अवैध शराब पकडऩे का काम वैसे तो आबकारी विभाग का है, लेकिन आबकारी विभाग को हर महीने मोटी बंदी मिलती है, इसलिए विभाग चैन की नींद सो रहा है और पुलिस को अवैध शराब पकडऩे के लिए मशक्कत करना पड़ रही है. बीती रात कंजर डेरे से पुलिस ने 200 पेटी शराब पकड़ी.

गौरतलब है कि बीती रात सुंदरसी थानांतर्गत माधौपुर डेरे में 200 पेटी से अधिक शराब पुलिस ने जब्त की. जबकि ये काम आबकारी विभाग को करना था. लगभग 7 लाख रुपए कीमत की देशी और विदेशी शराब माधौपुर कंजर डेरे से घर के अंदर दबिश देकर पुलिस ने जब्त की. तिवारी कंजर के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज कर अवैध शराब जब्त की. पुलिस को मुखबीर से सूचना मिली थी कि सुंदरसी थानांतर्गत माधौपुर डेरे में अवैध शराब रखी हुई है. पुलिस ने आबकारी विभाग को इसकी सूचना दी. आबकारी विभाग पुलिस की इस कार्यवाही से बचता नजर आया. क्योंकि आबकारी विभाग यह चाहता था कि पुलिस ये कार्यवाही ना करे. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जब पुलिस अधिकारियों ने इतनी भारी मात्रा में अवैध शराब जब्त की, तो आबकारी विभाग ने यह कहकर हाथ ऊंचे कर दिए कि वे इस जब्त माल को कहां रखेंगे. हालांकि पुलिस की कार्यवाही से शराब का बड़ा जखीरा मिल गया. मामले में पुलिस और आबकारी विभाग ने आबकारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है.

 

आबकारी विभाग में सबको मिलते है मोटे लिफाफे

 

लाखों रुपए की बंदी आबकारी विभाग के अमले को हर महीने दी जाती है. यही कारण है कि अवैध शराब जिले में धड़ल्ले से बिक रही है, लेकिन कार्यवाही करने के बजाय खानापूर्ति करने में लगा रहता है आबकारी विभाग. दीपावली के इस पर्व पर आबकारी विभाग पर जबरदस्त धन की वर्षा हुई है. जिला आबकारी अधिकारी को जिले में अवैध शराब या अवैध रूप से चल रहे अहातों से कोई सरोकार नहीं है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आबकारी विभाग को लगभग 10 से 15 लाख रुपए हर महीने बंदी के तौर पर जाता है, जिसकी बंदरबांट ऊपर से लेकर नीचे तक होती है. और यह सिस्टम शिष्टाचार के रूप में स्थापित हो गया है. आबकारी विभाग का यह भ्रष्टाचार पूरी तरह शिष्टाचार का रूप ले चुका है.

 

हर महीने मिलती है लाखों की बख्शीश

 

अवैध शराब को पकडऩे का काम वैसे तो आबकारी विभाग का है, लेकिन आबकारी विभाग के अधिकारियों को हर महीने लाखों रुपए की बंदी मिलती है. यही कारण है किवे ना तो दुकानों को निरीक्षण करते हैं और ना ही अवैध शराब को रोक पाते हैं. कागजी खानापूर्ति के लिए एक-दो जगह चंद बोतलें पकडक़र फोटो खिंचाकर अपनी सीआर सुधार लेते हैं. जो काम आबकारी विभाग को करना था, उनकी जगह अब अवैध शराब की धरपकड़ के लिए पुलिस काम कर रही है.

 

इनका कहना है

सूचना पुलिस को मिली थी. दबिश के दौरान आबकारी अमला भी शामिल था. भारी मात्रा में अवैध शराब जब्त की गई है. आगामी कार्यवाही की जा रही है.

-यशपाल सिंह राजपूत, एसपी -शाजापुर

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