जनहित याचिका में आरोप, अनावेदकों से हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
जबलपुर: शहडोल से अनूपपुर राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण के लिये ढाई हजार पेड़ तो काटे गये, लेकिन छह वर्ष बीत जाने के बाद भी समुचित वृक्षारोपण नहीं किया गया। जबकि ढाई हजार पेड़ काटने के एवज में पच्चीस हजार पेड़ लगाने की शर्त पर पर्यावरण विभाग ने पेड़ों की कटाई की अनुमति दी थी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश शील नागू व न्यायाधीश अमरनाथ केशरवानी की युगलपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये है। मामले की अगली सुनवाई 17 जून को निर्धारित की गई है।
यह जनहित का मामला शहडोल निवासी सुनील कुमार मिश्रा की ओर से दायर किया गया है। जिसमें कहा गया कि शहडोल से अनूपपुर तक राष्ट्रीय राजमार्ग सडक़ निर्माण के लिये ढाई हजार पेड्रों को काटने की अनुमति पर्यावरण विभाग ने इस शर्त पर दी थी कि उक्त पेड़ों के एवज में पच्चीस हजार पेड़ लगाये जायेंगे। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा ने पक्ष रखा। जिन्होंने दलील दी कि छह वर्ष बीतने के बाद भी संबंधित ठेकेदार ने सुमुचित वृक्षारोपण नहीं कराया है।
जो वृक्ष लगाये गये थे वो देखभाल के अभाव में सूख गये। जिसके कारण वायु प्रदूषण बढ़ गया है। इतना ही नहीं राहगीरों को भर गर्मी में छाया भी नसीब नहीं हो रहीं है। उक्त मामले की शिकायत संबंधित अधिकारियों से किये जाने के बाद भी जब कोई कार्यवाही नहीं हुई तब हाईकोर्ट की शरण ली गई है। मामले में एमपीआरडीसी, राष्ट्रीय राज्य मार्ग प्राधिकरण, थीम इंजीनिरिंग सर्विसेस, प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड व शहडोल कलेक्टर को पक्षकार बनाया गया है। सुनवाई पश्चात् न्यायालय ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं।