विंध्य की उम्मीदों को लगे पंख

डॉ रवि तिवारी

 

विंध्य की डायरी

 

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के रीजनल इंड्रस्टीयल

का न्क्लेव में प्रदेशव्यापी पहल के पांचवे चरण में विंध्य प्रदेश की राजधानी रीवा में निवेश के बने वातावरण से उम्मीदों को पंख लग गए हैं. विकास की दृष्टि से पिछड़े विंध्य में हमेशा यही कहा जाता है कि विकास की बड़ी सम्भावना हैं. पर जब भी सरकार के साथ उद्योगपतियों से समझौते होते हैं उनमें पत्थर पीस कर सीमेंट बनाने का काम प्रमुख होता है. विंध्य की भौगोलिक परिस्थितियों की वजह से अब यह उद्योग खतरे के संकेत देने लगा है. पहाड़ो के पत्थरों को पीस के बनने वाले उत्पादों से पर्यावरणीय संतुलन के बिगडऩे की संभावना पैदा हो गई है. पीछे कुछ वर्षों से विंध्य में खंडित वर्षा और उचित समय मे अवर्षा की स्थिति आम हो गई है. हालत यह है कि शहरों के एक हिस्से में पानी गिरेगा तो दूसरा हिस्सा सूखा रहा आता है. जानकारों की माने तो फैक्ट्री की चिमनी से निकलने वाली गर्म गैस हवा से भारी होने के कारण ऊपर नही जा पाती हैं और उसकी वजह से विंध्य के आसमान में उमडऩे वाले बादल बिना बरसे ही निकल जाते हैं. हालांकि इस बार आई टी और फूड के क्षेत्र में भी निवेश की संभावना बनी है जिससे आने वाले समय मे रोजगार और यहाँ होने वाले उत्पादों के लिए अच्छा बाजार मिल सकता है. इस मामले में उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल के प्रयास को कोई नकार नही सकता है. कहा यह जा रहा है कि शुक्ल ने बहुत से उद्योगपतियों से व्यक्तिगत सम्पर्क कर निवेश के लिए आमंत्रित किया है. उनका यह भी प्रयास है कि स्थानीय व्यापारी भी उद्योग स्थापना के लिए आगे आएं ताकि यहां के ज्यादा से ज्यादा हाथों को काम मिल सके.

 

विंध्य फिर हुआ शर्मसार

 

अपनी कला संस्कृति के साथ शांति का टापू कहा जाने वाला विंध्य आज शर्मसार है. एक बेटी की चीख के आगे सभी नि:शब्द है. हैवानियत की जिस घटना की कभी कल्पना नही की जा सकती ऐसी मानवता को तार-तार कर देने वाली घटना विंध्य के धरा पर हुई है. गुढ़ की घटना ने जहा समूचे विंध्य क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है वही नैतिक मूल्यो के साथ सुरक्षा व्यवस्था पर भी प्रश्न चिन्ह लगा दिया है. नैतिक मूल्यो का पतन हो रहा है और सामाजिक मर्यादाएं भी तार-तार हो रही है. मनुष्यता को शर्मसार करने वाली इस वारदात ने समाज के सामने कई सवाल खड़े किये है. इस तरह की घटनाओ को रोकने के लिये समाज को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी. साथ ही विरोध के साथ सामने आना होगा, ताकि ऐसी घटनाओ की पुनरावृत्ति न हो. सब कुछ पुलिस और कानून के भरोसे नही छोड़ा जा सकता. सामाजिक मर्यादा का जो विधान है उस पर काम करने की जरूरत है. हमारी सामाजिक मान्यताएं और मर्यादा प्राचीन काल से पत्थर की तरह मजबूत है. उसी पर कायम रह कर सामाजिक अपराधो को रोका जा सकता है.

 

 

 

 

मुख्यमंत्री का अनोखा अंदाज

अपने मुख्यमंत्री डा0 मोहन यादव कुछ गजब के ही है, हाजिर जवाब के साथ मुस्कुराते नजर आते रहते है. चित्रकूट धाम पहुंचे और विभिन्न कार्यक्रमो में भाग लेने के साथ दूसरे दिन मुख्यमंत्री का एक नया अनोखा अंदाज देखने को मिला. काफिले के साथ चलते हुए एक बहन की चाय दुकान पर पहुंचे जहा खुद चाय बनाने लगे. अदरक कूटा, चाय की पत्ती डाली फिर चाय बनाकर सभी को पिलाई. इस दौरान उनकी पत्नी भी मौजूद रही. मुख्यमंत्री का यह सरल स्वभाव देख कर सभी आश्चर्यचकित रह गए. खुद चाय बनाई और सभी को बकायदे परोसा भी, यह अनोखा अंदाज हर किसी को भा गया. इसके पूर्व रामनाथ आश्रम शाला में वनवासी छात्र-छात्राओ से भेंट करने के दौरान बच्चो को लाठी भांजने की कला दिखाई. साथ ही बुंदेलखण्ड के परम्परागत दिवारी नृत्य का भी लुफ्त उठाया.

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