मामला लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग का मामला, कार्यपालन यंत्री की कार्यप्रणाली चर्चाओं में
सिंगरौली : लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में मची भर्रेशाही और निर्माण कार्यो के ऑनलाइन पूर्णता प्रमाण पत्र जारी किये जाने को लेकर जिम्मेदार अधिकारी सवालों में घिरते जा रहे हैं। वही आरईएस के कार्यपालन यंत्री सवालों के जवाब देने से कन्नी काट रहे हैं।दरअसल सूत्रों के मुताबिक लोकस्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग सिंगरौली के कार्यपालन यंत्री के मनोज बाथम सिंगरौली में पदस्थापना से ही चर्चाओं में आ गए थे। धनहरा ग्राम पंचायत में 2022 के पूर्व निर्माण कार्यो में करोड़ों रूपये घपलेबाजी के जांच में जमकर लीपापोती किया था। इस तरह के आरोप शिकायतकर्ता ने उस दौरान लगाया भी था और यह भी आरोप लगाया था कि यह सब कुछ खेला जिला पंचायत सीईओ के संरक्षण में हुआ था। वही अब कार्यपालन यंत्री अपनी कार्य गुजारियों को लेकर चर्चाओं में आ गए हैं।
सूत्र बतातें हैं कि प्रमुख अभियंता के आरईएस के निर्देश के बावजूद संविदा सहायक यंत्रियों से कार्यो के तकनीकी स्वीकृति दी जाती रही। यदि तीन वषों से सेक्योर साईट और मनरेगा के साईट से इस बात की जांच की जाए कि किन-किन सहायक यंत्रियों के द्वारा स्वीकृति दी जाती रही। वही यह भी एक बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है कि ऑनलाइन में पूर्णता प्रमाण पत्र किस आईडी से जारी किये जाते थे। पदस्थ सहायक यंत्री का सत्यापन कराया जाता है या फिर बिना सत्यापन के ही पूर्णता प्रमाण पत्र जारी किये जाते हैं। उक्त बातों को लेकर कार्यपालन यंत्री सवालों में घिरते जा रहे हैं। वही यह भी चर्चा है कि परिवीक्षा अवधि के सहायक यंत्रियों से ही तकनीकी स्वीकृति क्यो कराए जा रहे हैं। इसके अलावा सहायक यंत्रियों के इधर-उधर कर फेर बदल करने का प्रस्ताव वरिष्ठ कार्यालय मुख्य अभियंता भोपाल क्या भेजा जा रहा है। इस संबंध में जब कार्यपालन यंत्री मनोज बाथम से जानकारी मांगी गई तो उनके द्वारा कोई जवाब नही दिया गया। फिलहाल आईएस विभाग सिंगरौली के कार्यपालन यंत्री अपनी कार्य गुजारियों को लेकर चर्चाओं में आ गए हैं।
नाली निर्माण कार्य में अनियमितता का आरोप
जनपद पंचायत क्षेत्र देवसर के ग्राम पंचायत पापल, निवास एवं छमरछ में सड़क के किनारे लाखों रूपये की लागत से नाली का निर्माण कार्य कराया जा रहा है। कई लोगों के द्वारा आरोप लगाया जा रहा है कि नाली निर्माण कार्य में निर्धारित स्ट्रीमेट के अनुसार कार्य नही कराया जा रहा है। बल्कि गुणवत्ता विहीन निम्र क्वालिटी की सरिया उसमें भी काफी खेला किया जा रहा है। आरोप यहां तक है कि कार्यस्थल पर सूचना बोर्ड भी नही लगाया जा रहा है। मौके पर उपयंत्री भी नही रहते हैं। क्रियान्वयन एजेंसी अपने मनमुताबिक कार्य करा रही है।
एसडीओ को बिना काम का दिया जा रहा वेतन
जानकारी के अनुसार चितरंगी जनपद में पूर्व में पदस्थ संविदा सहायक यंत्री को बैढ़न में अटैच कर लिया गया। इनका वेतन कहा से निकल रहा है। यह तो इसका जवाब जिला पंचायत के साथ-साथ कार्यपालन यंत्री आरईएस या फिर जनपद के सीईओ ही दे पाएंगे। सवाल उठाया जा रहा है कि संविदा सहायक यंत्री संतोष कोल से कोई कार्य नही लिया जा रहा है। फिर में 70 हजार रूपये से अधिक वेतन क्यो दिया जा रहा है। वही जिला शिक्षा केन्द्र में पदस्थ संविदा सहायक यंत्री पर सीईओ जिला पंचायत एंव कार्यपालन यंत्री आरईएस की कृपादृष्टि पर लगातार सवाल खड़े किये जा रहे हैं। चर्चा इसी बात है कि जब मनरेगा के सहायक यंत्री कार्यरत हैं। फिर जिला शिक्षा केन्द्र सिंगरौली के सर्व शिक्षा अभियान के संविदा एसडीओ से जनपद पंचायत बैढ़न में अतिरिक्त कामकाज क्यों सौंपा गया है? इसका जवाब जिला अधिकारी देने से बच रहे हैं।