सियासत
हाल ही में कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का एक कार्यक्रम महू गांव नगर पंचायत के अंतर्गत आने वाले गौशाला घाट पर हुआ. यहां गंभीर नदी की आरती के माध्यम से पर्यावरण बचाने का संदेश देने के लिए एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम का कथित रूप से विधायक उषा ठाकुर और उनके समर्थकों ने बहिष्कार किया. इस कार्यक्रम की गुट बाजी की पूरे जिले में चर्चा है. महू विधानसभा क्षेत्र की भाजपा स्पष्ट रूप से दो गुटों में विभाजित हो गई है. दोनों गुटों के बीच इतनी तीखी तकरार है कि दोनों कैंप एक दूसरे के कार्यक्रमों का बहिष्कार करते हैं और एक दूसरे को बुलाते तक नहीं हैं. महू विधानसभा क्षेत्र लंबे समय से इंदौर जिले के अन्य बड़े नेताओं की शरणस्थली बना हुआ है. 1998 और 2003 में भाजपा के पराजय के बाद पार्टी ने 2008 में यहां से कैलाश विजयवर्गीय को टिकट दिया.
उन्होंने जीत भी दर्ज की. इसके बाद 2013 में फिर से कैलाश विजयवर्गीय महू विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने. 2018 में पार्टी ने यहां से इंदौर क्षेत्र क्रमांक 1 और 3 में विधायक रही उषा ठाकुर को टिकट दिया. उषा ठाकुर मात्र 14 दिन के प्रचार में यहां से विपरीत परिस्थिति के बावजूद विधायक बनी. उषा ठाकुर के पहले कार्यकाल के पहले तीन वर्षों तक तो सब ठीक था लेकिन अंतिम 2 वर्षों में पार्टी की एकता कमजोर होती गई. उषा ठाकुर पर आरोप लगे कि वो एक काकस से घिर गई हैं. यह काकस उनके अग्रज अंबु ठाकुर के माध्यम से भाजपा चला रहा है. इस की वजह से उषा ठाकुर के खिलाफ भाजपा में असंतोष बढ़ता गया. नतीजे में अनेक पुराने और निष्ठावान नेताओं ने स्थानीय जनप्रतिनिधि की मांग जोर शोर से उठाई. लेकिन पार्टी ने एक बार फिर उषा ठाकुर को टिकट दिया. लाडली बहना योजना के चलते वो आसानी से जीत भी गई.
पिछले विधानसभा चुनाव में अंतर सिंह दरबार कांग्रेस से बगावत कर चुनाव लड़े और उन्होंने 70,000 मत हासिल किए. उषा ठाकुर के समर्थकों का आरोप है कि अनेक भाजपा नेताओं ने उषा ठाकुर को हराने के लिए अंतर सिंह दरबार के चुनाव चिन्ह गिलास के लिए काम किया. यहीं से भाजपा में विभाजन की शुरुआत हुई. उषा ठाकुर के समर्थकों का यह भी आरोप है कि विधायक दीदी के सारे विरोधी कैलाश विजयवर्गीय से ताकत प्राप्त करते हैं. उषा ठाकुर के कथित विरोधी नेताओं के कार्यक्रमों में कैलाश विजयवर्गीय को बुलाने का सिलसिला बढ़ गया. इधर उषा ठाकुर के समर्थक मंडल अध्यक्षों ने कथित विरोधी गुट को कार्यक्रमों में बुलाना छोड़ दिया.
इसी तरह विरोधी नेताओं के कार्यक्रमों का बहिष्कार भी उषा ठाकुर के समर्थन करते हैं. यहां तक कि कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के कार्यक्रम में भी उषा ठाकुर समर्थक भाजपा के पदाधिकारी नहीं आते. यही स्थिति हाल में संपन्न गंभीर नदी की आरती के लिए किए गए समारोह में नजर आई. यह कार्यक्रम कैलाश विजयवर्गीय की मौजूदगी में धूमधाम से संपन्न हुआ, लेकिन इस कार्यक्रम में विधायक उषा ठाकुर और उनके समर्थक नजर नहीं आए. हालांकि आयोजकों का दावा था कि उषा दीदी को सम्मान पूर्वक बुलाया गया था. कैलाश विजयवर्गीय न केवल इस कार्यक्रम में आए बल्कि उन्होंने गौशाला घाट यानी गंभीर नदी के तटों के जीर्णोद्धार के लिए लगभग 7 करोड रुपए मंजूर किए.
कैलाश विजयवर्गीय प्रदेश सरकार में स्थानीय शासन मंत्री हैं. प्रोटोकॉल के लिहाज से इस कार्यक्रम में नगर पंचायत के अध्यक्ष को भी शामिल होना चाहिए था, लेकिन महू गांव धार नाका नगर पंचायत के अध्यक्ष नवीन तिवारी कार्यक्रम में मौजूद नहीं रहे. हालांकि वो भाजपा के नेता हैं. इस कार्यक्रम में उषा ठाकुर की गैर मौजूदगी की महू विधानसभा क्षेत्र में बड़ी चर्चा है. महू विधानसभा क्षेत्र में जो कुछ चल रहा है उससे पुराने और निष्ठावान कार्यकर्ता दुखी हैं. उन्हें लगता है कि पार्टी के प्रदेश नेतृत्व में इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए. जो भी हो महू विधानसभा क्षेत्र में भाजपा का स्पष्ट रूप से विभाजन हो चुका है. एक गुट उषा ठाकुर को नेता मानकर राजनीति करता है तो दूसरा कैंप कैलाश विजयवर्गीय की छत्रछाया में सियासत को आगे बढ़ा रहा है