नयी दिल्ली 23 अक्टूबर (वार्ता) वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की एजेंसी विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) में संयुक्त महानिदेशक मोइन अफाक ने उद्योग जगत को खास कर ऑन लाइन निर्यात कौशल और क्षमता को बढ़ावा देने के उद्येश्य से लॉजिस्टिक्स, वेयरहाउसिंग, पैकेजिंग और लेबलिंग सहित महत्वपूर्ण विषयों पर शैक्षिक सामग्री विकसित करने में सरकार के साथ सहयोग करने के लिए आमंत्रित किया है।
श्री अफाक मंगलवार को यहां इंटरनेट रिटेलर्स, सेलर्स एंड ट्रेडर्स (फर्स्ट इंडिया) के लिए डीजीएफटी द्वारा ई-वाणिज्य निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए आयोजित एक ‘हितधारक गोलमेज चर्चा’ को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) संपूर्ण व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र के लाभ के लिए सहयोग को बढ़ावा देने और पारदर्शी, सुलभ प्रणाली स्थापित करने तथा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए क्षमता निर्माण और कौशल विकास के लिए प्रतिबद्ध है।’
संयुक्त डीजीएफटी श्री अफाक ने कहा कि ट्रेड कनेक्ट पोर्टल और एक्जिम पाठशाला जैसी पहलों को सभी हितधारकों को सशक्त और शिक्षित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। उन्होंने कहा, ‘हम उद्योग जगत के प्रमुख खिलाड़ियों को लॉजिस्टिक्स, वेयरहाउसिंग, पैकेजिंग और लेबलिंग सहित महत्वपूर्ण विषयों पर शैक्षिक सामग्री विकसित करने में हमारे साथ सहयोग करने के लिए आमंत्रित करते हैं, ताकि राष्ट्रव्यापी पहुंच का विस्तार किया जा सके और सार्थक प्रभाव पैदा किया जा सके।’
बैठक में हितधारकों ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भारतीय एमएसएमई के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों से निपटने के लिए 100 से अधिक केंद्र स्थापित करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। चर्चा में सीमा पार भुगतान के मुद्दों, जटिल सीमा शुल्क प्रक्रियाओं और प्रतिबंधात्मक निर्यात नीतियों को वैश्विक विस्तार में प्रमुख बाधाओं के रूप में उजागर किया गया। इस बैठक में 100 निर्यात केंद्र स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित करने पर जोर दिया गया।
इंटरनेट रिटेलर्स, सेलर्स एंड ट्रेडर्स (फर्स्ट इंडिया) की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि वर्तमान में वाणिज्य निर्यात केवल 4-5 अरब डालर है जो वित्त वर्ष 2022-23 में भारत के कुल वस्तु निर्यात का मात्र 0.9-1.1 प्रतिशत है। ई-कॉमर्स निर्यात में सरकार के 200 अरब डालर -300 अरब डालर के लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रतिभागियों ने मौजूदा निर्यात स्तरों को 50 से 60 गुना बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
फर्स्ट इंडिया के न्यासी और इंडिया एसएमई फोरम के अध्यक्ष विनोद कुमार ने कहा, ‘ई-कॉमर्स एमएसएमई के लिए वैश्विक बाजारों तक पहुंचने का एक अनूठा अवसर प्रस्तुत करता है और हमारा मानना है कि भारत 2030 तक आसानी से 200 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य को पार कर सकता है।’ उन्होंने कहा, ‘हमें भुगतान और सीमा शुल्क से जुड़ी मौजूदा चुनौतियों का समाधान करने की आवश्यकता है जो इस विकास में बाधा बन रही हैं।’