यूपी से रोजाना लाखों लीटर डीजल की हो रही सप्लाई

सेल टैक्स अमला शिकंजा कसने में अब तक नाकाम,प्रदेश सरकार को एनसीएल के ओबी कंपनियां लगा रही करोड़ों का चूना

सिंगरौली : एनसीएल की ओबी कंपनियां हर महीने करीब 100 करोड़ टैक्स की चोरी कर सरकार को चूना लगा रही हैं। डीजल में टैक्स चोरी की गड़बड़ी अधिकारियों के संरक्षण में चल रहा है। लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हो रही। दरअसल यूपी के मुकाबले एमपी में करीब 7 रूपए लीटर डीजल महंगा है। कई ओबी कंपनियां काम तो म.प्र. में करती हैं। लेकिन डीजल उ.प्र. से खरीदते हैं। जिससे राज्य सरकार को मिलने वाला करोड़ों का टैक्स नहीं मिलता।

गौरतलब है कि ऊर्जाधानी में एक दर्जन कोल खदानें संचालित हैं। यह खदानें उ.प्र. से महज 5 से 10 किलोमीटर दूर संचालित है। वही यूपी में म.प्र. के मुकाबले करीब 7 रूपए लीटर कम रेट पर डीजल आसानी से उपलब्ध हो जाता हैं। ऐसे में उ.प्र. के पेट्रोल संचालक खदानों में कम दरों पर पहुंचा कर डीजल देने के लिए भी तैयार है। सभी ओबी कंपनियों को प्रतिदिन 30 से 40 हजार लीटर डीजल की जरूरत होती है। ऐसे में जिले में प्रतिदिन सिर्फ ओबी कंपनियों की बात करें तो प्रतिदिन 2 लाख लीटर से अधिक डीजल की खपत है। यही वजह है कि ओबी कंपनियां प्रतिदिन टैंकरों से उ.प्र. से डीजल खरीद कर डॉ. मोहन सरकार को मिलने वाले टैक्स में करोड़ों की चोरी कर चूना लगा रहे हैं। हालांकि यह आंकड़ा बहुत छोटा है यदि बड़ी एजेंसी जांच करे तो बड़ी टैक्स की चोरी का खुलासा हो सकता है।
सेल टैक्स अमला नही कर रहा कार्रवाई
यूपी के मुगलसराय से सिंगरौली एनसीएल के कई छोटी-बड़ी ओबी कंपनियों में डीजल परिवहन कर खपाया जा रहा है। इसकी जानकारी जिला प्रशासन से लेकर प्रदेश सत्ताधारी नेताओं, मंत्री एवं सेल टैक्स अमले को भी भलीभंति है। इसके बावजूद क्या मजाल है कि ओबी कंपनियों पर शिकंजा कसने का साहस जुटा सके। इसके पीछे एक नही अनेक कारण बताए जा रहे हैं। चर्चाएं यहां तक है कि तथा कथित ओबी कंपनियों के कर्ताधर्ता महीने में कई जगह हाजरी भी लगाने पहुंच जाते हैं। जिससे उन्हें खुली छूट मिली हुई है। प्रदेश के डॉ. मोहन सरकार को भले ही महीने में कम से कम 100 करोड़ से ऊपर की राजस्व क्षति के रूप में नुकसान पहुंच रहा है। इससे उनका सरोकार नही है। वे अपने हित के लिए ज्यादा चिंता करते हैं। इसीलिए आधा दर्जन ओबी कंपनियां यूपी से डीजल खरीद कर खदानों में खपा रही हैं।
इन कंपनियों की होनी चाहिए जांच
चर्चा है कि एनसीएल के अलग-अलग परियोजना में कार्यरत ओबी कम्पनी , रामकृपाल झिंगुरदा, कंडोई, नीलकंठ उ.प्र. से डीजल लाकर सिंगरौली एनसीएल में ओबी खनन का काम कर रहे हैं। जिससे मोहन सरकार को मिलने वाला टैक्स यूपी सरकार को मिल रहा है। ओबी कंपनियों के खेल पर जिम्मेदारों की नजर क्यों नहीं पड़ी ? यह जांच का विषय है। लेकिन शहरी क्षेत्र में खुले पेट्रोल पंपों के मुकाबले यूपी के मुगलसराय सहित पेट्रोल पंपों की बिक्री अधिक है। इन रास्तो पर गाड़ियों का आना-जाना कम ही रहता है।
बेरोक-टोक के साथ यूपी से पहुंच रहा डीजल
जिले से लगे यूपी में डीजल का रेट लगभग 7 रूपए कम है। इसलिए ओबी रिमूवल का काम कर रही कंपनियां यूपी के डीजल से काम कर रही है। कंपनियां खदानों में चल रही वाहनों में यूपी के डीजल से काम कर रहे हैं। जिससे प्रदेश सरकार को हर माह करोड़ों रुपए की टैक्स की चोरी हो रही है। फिर भी इस पर न तो प्रशासन कोई ध्यान दें रहा है और न हीं टैक्स एजेंसियां गंभीरता दिखा रही है। नतीजतन प्रदेश सरकार को टैक्स में करोड़ों रुपए का नुकसान पहुंचाने का काम बेरोक-टोक जारी है। यह सब कारोबार एनसीएल अधिकारियों और पुलिस के संरक्षण में चल रहा है। सूत्र बताते हैं कि डीजल के इस खेल में कईयों की जेब गरम हो रही है। शायद इसीलिए चुप्पी साधे हुये हैं।

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