दीवारों पर लिखा ओ स्त्री कल आना
वीडियो के आधार पर पुलिस जांच में जुटी
इंदौर. एमवाय अस्पताल परिसर स्थित 100 साल पुरानी बिल्डिंग में पिछले दिनों गुपचुप तरीके से एक पार्टी का आयोजन कर दिया. आयोजन के दौरान बिल्डिंग के अंदर के हिस्से की ऐतिहासिकता के साथ छेड़छाड़ की गई. यहां हुई पार्टी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जब वायरल हुआ तो कॉलेज के कुछ प्रोफेसरों ने संज्ञान लेते हुए यहां पर गंगाजल छीड़कर इसका शुद्धिकरण किया. पूरे घटनाक्रम की जानकारी पुलिस को दी. मामले में पुलिस आसपास के सीसीटीवी कैमरों के फुटेज देख आयोजकों की तलाश में जुटी.
शहर के शासकीय महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज की 100 साल पूरानी किंग एडवर्ड हॉल बिल्डिंग में पिछले दिनों गुपचुप तरीके से हेलोवीन पार्टी का आयोजन अज्ञात लोगों के द्वारा कर दिया गया. जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो गया. इस वीडियो को लेकर एमजीएम मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर ने विरोध कर आज गंगाजल छिड़कर शुद्धिकरण किया. इस दौरान आयोजकों ने हेलोवीन पार्टी यानि कि भूतिया पार्टी आयोजन के दौरान पूरी बिल्डिंग को भूतिया स्वरूप में बदल दिया था.
आयोजकों ने बिल्डिंग की ऐतिहासिकता को भी नजरअंदाज कर दिया. पार्टी के दौरान, दीवारों पर कई विवादास्पद स्लोगन लिखे गए, जैसे ओ स्त्री कल आना, जो कई लोगों के लिए अस्वीकार्य रहे, इस प्रकार के स्लोगन ने पार्टी के माहौल को और भी भयानक बना दिया. पार्टी में विशेष ध्यान आकर्षित करने के लिए हड्डियों के ढांचे का भी इस्तेमाल किया था. इतना ही नहीं कई जगह खून से रंगने के लिए लाल रंग का प्रयोग इस तरह से किया गया कि यहां पर ऐसा प्रतीत होने लगा कि सच में किसी ने खून से ही लिखा है. यह सब होने से बिल्डिंग के अंदर का हिस्सा डरावना लगने लगा है.
गंगाजल छीड़काव कर पवित्र किया
इसकी खबर जैसे ही एमजी मेडिकल कॉलेज के मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन को लगी तो उन्होंने इसकी निंदा की. वहीं पुरातात्विक बिल्डिंग से छेड़छाड़ करने का आरोप भी लगाया. इसके बाद इस संबंध में इन्होंने डीन को एक ज्ञापन देकर पुलिस को एफआईआर दर्ज करने की बात भी कही. इसके बाद एमजीएम मेडिकल कॉलेज डॉक्टर एसोसिएशन द्वारा मंगलवार को बिल्डिंग जाकर वहां पर गंगाजल से छिड़काव कर उसे पवित्र किया. एसोसिएशन के सदस्यों ने बताया कि यह हेरिटेज बिल्डिंग की श्रेणी में आती है. इस दौरान डॉक्टरों ने आरोप लगाया है कि बिना परमिशन यहां पर पार्टी कैसे हो गई, इतना सेटअप यहां पर कैसे जमा किया गया. इसकी जांच होनी चाहिए और दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए.
ऐतिहासिक इमारत की दुर्गती से दुखी है
1878 में बनी इस इमारत की दुर्गती को देखकर हम लोग बहुत दुखी हुए है. यहां पर हुई पार्टी के दौरान आयोजकों ने इमारत की दीवारों पर ऐसे स्लोगन लिख दिए, जिन्हें बोलने पर भी शर्म आती है. हमारे एसोसिशन इस पर कड़ी आपत्ति ली है. यहां होने वाले आयोजन की परमिशन किसने दी यह जांच का विषय है. इस पर हम जल्द ही एक्शन लेंगे.
– वीपी पाण्डे, प्रोफेसर मेडिसिन विभाग