कोलकाता, 12 अक्टूबर (वार्ता) बंगाल के सरकारी अस्पतालों के जूनियर डॉक्टरों का आमरण अनशन शनिवार को आठवें दिन में प्रवेश कर गया। वे अपनी 10 सूत्री मांगों को पूरा करने की मांग कर रहे हैं लेकिन तत्काल कोई समाधान नजर नहीं आ रहा है।
इस बीच, दो और डॉक्टर आमरण अनशन में शामिल हो गए, जिससे अनशनकारियों की संख्या 10 हो गई है।
राज्य की ममता सरकार पर दबाव बढ़ रहा है क्योंकि अपोलो ग्लेनेगल्स, आरएन टैगोर, मणिपाल, फोर्टिस, मेडिका और पीयरलेस सहित कई निजी कॉर्पोरेट अस्पतालों के डॉक्टरों ने अगले सप्ताह से सभी गैर-आपातकालीन सेवाओं से काम बंद करने की धमकी दी है।
जूनियर डॉक्टरों की मांगों में आरजी कर अस्पताल में पीड़िता के लिए न्याय, सरकारी अस्पतालों में खतरे की संस्कृति की समाप्ति और राज्य के स्वास्थ्य सचिव नारायण स्वरूप निगम को हटाना शामिल है।
चिकित्सकों ने पांच अक्टूबर को आमरण अनशन शुरू किया और सातवें दिन आंदोलनकारी डॉक्टरों में से एक डॉ. अनिकेत महतो की स्वास्थ्य स्थिति बिगड़ने के बाद उन्हें आरजी कर अस्पताल में भर्ती कराया गया। अब वह खतरे से बाहर हैं।
डोरिना क्रॉसिंग (एस्पलेनैड) में विरोध प्रदर्शन स्थल पर एक चिकित्सक ने कहा कि रक्तचाप कम हो रहा है, शर्करा का स्तर कम हो गया है और जो डॉक्टर उपवास पर हैं उनका कीटोन्स बढ़ रहा है।
इस बीच, आरामबाग मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के लगभग 36 डॉक्टरों ने राज्य सचिवालय को एक संयुक्त पत्र में धमकी दी है कि अगर सरकार ने जूनियर डॉक्टरों की मांगें नहीं मानीं तो वे सामूहिक रूप से इस्तीफा देंगे।
इससे पूर्व, छह सरकारी अस्पतालों के कई वरिष्ठ डॉक्टरों और प्रोफेसरों ने स्वास्थ्य सचिवालय को अपना इस्तीफे पत्र भेज चुके हैं और सरकार से आग्रह किया है कि वह उपवास कर रहे डॉक्टरों की रक्षा के लिए तेजी से कार्रवाई करें अन्यथा वे अपने संबंधित विभागों में काम बंद करने के लिए मजबूर होंगे।
भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) के अध्यक्ष डॉ आर वी अशोकन ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री से आपातकालीन आधार पर मुद्दों को तुरंत संबोधित करने की अपील की और कहा कि जूनियर डॉक्टरों की मांगें ‘उल्लेखनीय रूप से मानने योग्य’ हैं।
डॉ अशोकन ने कहा कि मुख्यमंत्री स्वयं आंदोलन की उपज हैं और वह राज्य सरकार की स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहतरी के लिए जूनियर डॉक्टरों की मांगों को समझती हैं। डॉ. अशोकन ने डोरिना क्रॉसिंग पर प्रदर्शनकारी डॉक्टरों से भी मुलाकात की।
डॉ अशोकन ने प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टरों से मुलाकात के बाद कहा,“मैं देश के सभी डॉक्टरों की सद्भावना और चिंता लेकर अपने साथ आया हूं। हम चिंतित हैं, हम एक परिवार हैं। मैं इन युवा डॉक्टरों के लिए बहुत भारी दिल से आया हूं, जो न्याय के लिए लड़ने वाले चिकित्सा पेशे के संघर्षरत नायक हैं। सभी मांगें साध्य हैं, उल्लेखनीय रूप से करने योग्य हैं। आईएमए ने राज्य सरकार से अपील किया है कि इन बच्चों के बिगड़ते स्वास्थ्य को देखते हुए आपातकालीन आधार पर उनका समाधान किया जाए।”
आईएमए प्रमुख ने कहा कि वे जूनियर डॉक्टरों के पीछे मजबूती से खड़े हैं। उन्होंने कहा कि हम किसी भी हद तक जाएंगे, हम उन्हें निराश नहीं करेंगे।
इस बीच राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत ने सरकारी अस्पतालों में अनुकूल माहौल के लिए अवसंरचना निर्माण में प्रगति पर एक स्थिति रिपोर्ट जारी की है, जैसा कि पहले जूनियर डॉक्टरों के साथ चर्चा की गई थी।
श्री पंत ने जूनियर डॉक्टरों से आंदोलन खत्म कर काम पर लौटने की भी अपील की।