बागली-आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। यह बात सही साबित हो रही है। बेहरी क्षेत्र से जुड़े किसान परिवार हमेशा कुछ ना कुछ जुगाड़ करते रहते हैं। खरीब फसल में मौसम आधारित मजदूरी रहती है मौसम बिगड़ जाने पर मजदूर घर वापसी हो जाते हैं ।ऐसे में खेतों के काम अधूरे रह जाते हैं। वर्तमान में सोयाबीन फसल 15 से 20 दिन की हो गई है और उनमें सोयाबीन पौधे के साथ-साथ अन्य खरपतवार भी दिखाई दे रही है। पुरानी परंपरा अनुसार बैल जोड़ी से खेतों में डोरै निकल जाते थे। लेकिन एक साथ सभी को काम आने पर बैल जोड़ी मिलना और मजदूर मिलना आसान नहीं रहता। ऐसी स्थिति में बेहरी के युवको ने पल्सर मोटरसाइकिल पर देसी जुगाड़ करते हुए पतले टायर की मदद से चार डोरे बना लिए हैं ।जो मिट्टी चढ़ाने के साथ-साथ खरपतवार भी नष्ट कर रहे हैं। हालांकि देसी जुगाड़ में सावधानी अधिक और खर्च बहुत कम रहता है। यदि पूरे दिन मौसम साफ रहे तो यह जुगाड़ 20 से 25 बीघा खेत आसानी से खरपतवार समस्या से निजात दिला देते हैं।
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