शहडोल। 27 साल से पुलिस थाने में कैद देवी प्रतिमा को आखिरकार इस बार नवरात्रि में रिहाई मिल गई। कोर्ट के आदेश के बाद इसे गांव वालों को सौंप दिया गया। मामला शहडोल के ब्यौहारी थाना क्षेत्र अंतर्गत जमुनी गांव का है। मूर्ति 1997 में चोरी हुई थी, पुलिस ने 15 दिन बाद आरोपियों को गिरफ्तार कर मूर्ति बरामद कर ली थी तब से मूर्ति थाने के मालखाने में रखी थी। मामले में केस दर्ज हो चुका था। इस कारण कानूनी प्रक्रिया के तहत मूर्ति वापस दी जानी थी, इसलिए इसे सुरक्षा की दृष्टि से मूर्ति को थाने के माल गोदाम में रखवा दिया गया था।
समाजसेवी अजय सिंह ने बताया कि मामला 27 साल से चल रहा है। जब ग्रामीणों ने यह बात बताई, तो ब्यौहारी थाने पहुंचे। वहां थाना प्रभारी से बात करके मालखाने में मूर्ति की तलाश करवाई। मूर्ति मिलने के बाद जब उनसे मूर्ति मांगी, तब बताया गया कि मामला न्यायालय में विचाराधीन है। इस कारण मूर्ति की रिहाई के लिए कोर्ट का आदेश चाहिए। उसके बाद ही मूर्ति सुपुर्द की जा सकेगी।
इस संबंध में जिला प्रशासन को भी ज्ञापन सौंपा गया था, बावजूद बात नहीं बनी। इसके बाद 5 अक्टूबर को वकील के माध्यम से ब्यौहारी कोर्ट में आवेदन दिया। कोर्ट ने 27 साल से कैद मूर्ति को गांव वालों को सौंपने के निर्देश दिये।
पुजारी चल रहे थे नंगे पैर
मंदिर के पुजारी रामप्यारे ने बताया, ‘मूर्ति चोरी के बाद काफी दुखी था। मैंने निर्णय लिया था कि जब तक माता रानी की मूर्ति मंदिर में पुनः स्थापित नहीं हो जाएगी, तब तक चप्पल नहीं पहनूंगा। इस कारण पिछले 27 बरस से पुजारी नंगे पैर ही चल रहे थे। अब मंदिर की मूर्ति मिल मिल गई है। वापस चप्पल पहन सकेंगे।
मूर्ति स्थापित
पुजारी प्यारेलाल ने बताया कि लोढ़ा माता की मूर्ति पुलिस ने सौंप दी है। मूर्ति मिलने के बाद मूर्ति को दोबारा उसी जगह स्थापित कराया गया है, जहां से वह चोरी हुई थी।