आरबीआई ने एनबीएफसी को कारोबारी विकास के अस्थिर तरीके अपनाने के लिए दी चेतावनी

मुंबई 09 अक्टूबर (वार्ता) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थानों (एनबीएफसी) को स्थायी कारोबारी तरीके और जोखिम प्रबंधन ढांचे का निर्माण किए बिना ‘किसी भी कीमत पर’ व्यवसायिक विकास को आगे बढ़ाने की होड़ के लिए कड़ी चेतावनी देते हुए आज कहा कि यह उनके स्वयं के कारोबार के लिए अच्छा नहीं होगा और ऐसे में आरबीआई कार्रवाई करने में संकोच नहीं करेगा।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक के बाद चालू वित्त वर्ष की चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए कहा कि विशेष रूप से एनबीएफसी ने पिछले कुछ वर्षों में प्रभावशाली वृद्धि दर्ज की है। इससे दूरदराज और कम सेवा वाले क्षेत्रों में अधिक ऋण प्रवाह हुआ है, जिससे वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिला है। हालांकि समग्र एनबीएफसी क्षेत्र स्वस्थ बना हुआ है।

श्री दास ने कहा, “यह देखा गया है कि कुछ एनबीएफसी अपने पोर्टफोलियो के पैमाने और जटिलता के अनुरूप टिकाऊ कारोबारी तरीकों और जोखिम प्रबंधन ढांचे का निर्माण किए बिना आक्रामक रूप से विकास को आगे बढ़ा रहे हैं। एक अविवेकपूर्ण ‘किसी भी कीमत पर विकास’ के दृष्टिकोण उनके स्वयं के कारोबार के लिए प्रतिकूल होगा।”

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि घरेलू और विदेशी दोनों स्रोतों से अपनी पूंजी में उल्लेखनीय वृद्धि से प्रेरित होकर और कभी-कभी अपने निवेशकों के दबाव में माइक्रोफाइनेंस संस्थान और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां जैसी एनबीएफसी अपनी इक्विटी पर अत्यधिक रिटर्न की तलाश कर रहे हैं। हालांकि इस तरह की गतिविधियां एनबीएफसी के बोर्ड और प्रबंधन के अधिकार क्षेत्र में हैं लेकिन चिंता तब पैदा होती है जब उनके द्वारा ली जाने वाली ब्याज दरें अत्यधिक हो जाती हैं और अनुचित रूप से उच्च प्रसंस्करण शुल्क और तुच्छ दंड के साथ मिल जाती हैं। इन तरीक़ों को कभी-कभी ‘पुश इफ़ेक्ट’ के रूप में देखा जाता है क्योंकि व्यवसायिक लक्ष्य खुदरा ऋण वृद्धि को उसकी वास्तविक मांग की बजाय आगे बढ़ाते हैं। इससे उच्च लागत और उच्च ऋणग्रस्तता वित्तीय स्थिरता जोखिम पैदा कर सकती है।

श्री दास ने कहा कि इसके अलावा एनबीएफसी अपनी प्रचलित मुआवज़ा प्रावधानों, परिवर्तनीय वेतन और प्रोत्साहन संरचनाओं की समीक्षा कर सकते हैं, जिनमें से कुछ-कुछ एनबीएफसी में पूरी तरह से लक्ष्य-संचालित प्रतीत होते हैं। इस तरह के प्रावधानों से कार्य संस्कृति और खराब ग्राहक सेवा का स्तर ख़राब हो सकता है।

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि एमएफआई और एचएफसी सहित एनबीएफसी ‘अनुपालन पहले’ संस्कृति, एक मजबूत जोखिम प्रबंधन ढांचा, निष्पक्ष व्यवहार संहिता का सख्त पालन और ग्राहक शिकायतों के प्रति एक ईमानदार दृष्टिकोण जैसे स्थायी कारोबारी नियमों का पालन करें।

उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक इन क्षेत्रों पर बारीकी से नजर रख रहा है और जरूरत पड़ने पर उचित कार्रवाई करने में संकोच नहीं करेगा। हालांकि एनबीएफसी द्वारा ‘स्वयं में सुधार’ लाना वांछित विकल्प होगा।

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